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आगमों के प्रकाशन की योजना है। मुनि श्री घासीलालजी ने एक साथ आगम बत्तीसी की संस्कृत भाषा में टीकाएँ लिखते हुए उनका हिन्दी व गुजराती अनुवाद भी किया।
अंग्रेजी अनुवाद
जर्मन विद्वान् पर भारतीय साहित्य से अतीव रूचि रखने वाले श्री हर्मन जेकोबी ने आचारांग, सूत्रकृतांग, उत्तराध्ययन एवं कल्पसूत्र का अंग्रेजी अनुवाद किया है। कल्पसूत्र और आचारांग सूत्र पर उनकी महत्त्वपूर्ण प्रस्तावना है। विद्वान् श्री अभ्यंकर ने भी दशवैकालिक सूत्र को अंग्रेजी में अनुदित किया है। इसके अतिरिक्त भी उपासकदशांग, अन्तगडदशांग, अनुत्तरोपपातिकदशांग, विपाक और निरयावलिका सूत्र भी अंग्रेजी में अनुदित हो चुके हैं।
इनके अतिरिक्त भी मूर्तिपूजक संप्रदाय में मुनि श्री पुण्यविजयजी म., दलसुखभाई मालवणिया एवं वर्तमान में मुनि श्री जंबूविजयजी म. द्वारा किया जा रहा आगमों का संपादन अत्यन्त आधुनिक दृष्टि से हुआ है। इनके द्वारा लिखी जाने वाली प्रस्तावनाएँ महत्त्वपूर्ण है। इन्होंने जिन रहस्यों का अनावरण किया है, वह जिज्ञासु एवं श्रद्धालु दोनों के लिये उपयोगी है।
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आवश्यक नियुक्ति गाथा - 192
नन्दी सूत्र - 41
स्थानांग सूत्र
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(अ). अनुयोगद्वार - 4, सुयसुत्त ग्रन्थ सिद्धंतपवयणे आणवयण उवएसे पण्णवण आगमे या एगट्ठा पज्जवासुत्ते- (ब). विशेषावश्यक भाष्य गा. 8/97 तत्त्वार्थ सूत्र
सन्दर्भ एवं टिप्पणी
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1-20
संस्कृत धातुकोष - सं. युधिष्ठिर मीमांसक, बहालगढ़ सोनीपत, हरियाणा | पृष्ठ 34 अमरकोष, 3.3.239 पृ. 440 (सुधाव्याख्या समुपेत)
पाणिनी अष्टाध्यायी, 2.1.13
आवश्यक नियुक्ति मलयगिरि वृत्ति - 21 पृ. 49
अमरकोष - 2.8.95
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रत्नाकरावतारिका वृत्ति : आगम्यन्ते मर्यादयाऽवबुद्ध्यन्तेऽर्थाः अनेनेत्यागमः । स्याद्वादमंजरी, श्लो. 38 टीका- आप्तवचनादाविर्भूतमर्थसंबेदनमागमः । विशेषावश्यकभाष्य गाथा - 559
सासिज्जइ जेण तयं सत्यं तं वा विसेसियं नाणं ।
आगम एव य सत्थं आगमसत्थं तु सुयनाणं ॥
जैन आगम साहित्य : एक अनुशीलन / 67
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