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________________ दर्शन में आत्मा कर्मफल भोगने में स्वतन्त्र न होने से चूर्णिकार ने इसे भी अक्रियावादी कहा है।' चूर्णिकार ने पंचमहाभौतिक चातुर्भीतिक, स्कन्धमात्रिक, शून्यवादी, लोकायतिक- इन्हें अक्रियावादी कहा है । " आचार्य अकलंक ने अक्रियावाद के कुछ प्रमुख आचार्यों का उल्लेख किया है - कोक्वल, कांठेविद्धि, कौशिक, हरिश्मश्रुमान, कपिल, रोमश, हारित, अश्वमुण्ड, अश्वलायन आदि । ' अक्रियावाद के 84 भेद निर्युक्तिकार ने अक्रियावाद के 84 भेदों का उल्लेख किया है। चूर्णिकार तथा वृत्तिकार ने उसका विवरण इस प्रकार दिया है - 10 जीव, अजीव, आश्रव, संवर, निर्जरा, बंध और मोक्ष ये सात तत्त्व है। इनके स्वतः और परत: ये दोदो भेद करने पर (7x2 ) 14 भेद होते है । काल, यदृच्छा, नियति, स्वभाव, ईश्वर और आत्मा इन छः तत्त्वों के साथ गुणन करने पर ( 14X6) 84 भेद होते है । सर्वशून्यतावाद का खण्डन लोकायतिक पदार्थ का निषेध करके भी पक्ष को सिद्ध करने के लिये पदार्थ का अस्तित्व प्रकारान्तर से मान लेते है । अर्थात् पदार्थ का निषेध करते हुए भी उनके अस्तित्व का प्रतिपादन कर बैठते है । जैसे वे जीवादि पदार्थों का अभाव बताने वाले शास्त्रों का अपने शिष्यों को उपदेश देते हुए शास्त्र के कर्त्ता आत्मा को, उपदेश के साधन रूप शास्त्र को और जिसको उपदेश दिया जाता है उस शिष्य को तो अवश्य स्वीकार करते है। क्योंकि इनको स्वीकार किये बिना उपदेशादि नहीं हो सकता । परन्तु सर्वशून्यतावाद में ये तीनों पदार्थ नहीं आते। इसलिये लोकायतिक परस्पर विरूद्ध मिश्रपद का सहारा लेते है । वे, पदार्थ नहीं है, यह भी कहते है और दूसरी ओर उसका अस्तित्व भी स्वीकार करते है ।" इसी प्रकार बौद्ध भी परस्पर विरूद्ध पक्ष का प्रतिपादन करते हैं। बौद्ध मत के सर्वशून्यतावाद के अनुसार गन्ता च नास्ति कश्चिद् गतयः षड् बौद्ध शासने प्रोक्ता । गम्यत इति च गतिः, स्याच्छुतिः कथं शोभना बौद्धी ॥ कोई (परलोक में) जाने वाला सम्भव नहीं, कोई क्रिया, गति, कर्मबंध समवशरण अध्ययन में प्रतिपादित चार वाद तथा 363 मत / 351 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003613
Book TitleAgam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Ka Darshanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNilanjanashreeji
PublisherBhaiji Prakashan
Publication Year2005
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Philosophy, & agam_related_other_literature
File Size18 MB
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