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कृतवा
बुद्धिमान कर्ता के रूप में ईश्वर का अनुमान करना दोषपूर्ण ही है।
ईश्वरकर्तृत्ववादियों का यह कथन भी ईश्वर के कर्ता होने का साधक नहीं है कि घट आदि विशिष्ट रचनायुक्त कार्य किसी बुद्धिमान कर्ता द्वारा रचित है। क्योंकि ऐसा कोई नियम नहीं होता कि हर चीज को बनाने वाला कर्ता बुद्धिमान ही हो। आकाश में बादल बिना बुद्धिमान के बनते और बिगड़ते नज़र आते है। इसी प्रकार बिजली भी चमकती है और जमीन पर गिरती दिखाई देती है। पानी बरसने पर घास बुद्धिमान के बिना ही उगती है। मौसम के अनुसार ही सर्दीगर्मी पड़ती है, उसमें भी बुद्धिमान इन कार्यों को करता हुआ प्रत्यक्ष दिखाई नहीं देता जबकि पदार्थों की उत्पत्ति और नाश तो प्रत्यक्ष देखा जाता है। .
कृतवादियों का यह तर्क भी निराधार है कि घटादि की तरह शरीर और जगत विशिष्ट अवयव रचना युक्त होने से किसी बुद्धिमान कर्ता द्वारा निर्मित है। क्योंकि इस अनुमान से बुद्धिमान कर्ता की सिद्धि तो होती है परन्तु ईश्वर रूप कर्ता की सिद्धि नहीं होती। जो बुद्धिमान होता है, वह ईश्वर ही होता है, ऐसा नियम नहीं है। क्योंकि घट का कर्ता कुम्हार एवं पट का कर्ता जुलाहा ही माना जाता है, ईश्वर नहीं। यदि बुद्धिमान कर्ता ईश्वर ही है तो फिर ईश्वरकर्तृत्ववादी घट और पट का कर्ता भी ईश्वर को क्यों नहीं मान लेते ? अत: विशिष्ट अवयवरचना बुद्धिमान कर्ता द्वारा ही सम्भव होती है, यह धारणा मिथ्या है। क्योंकि यदि ऐसा माना जायेगा तो वल्मीक (दीमक द्वारा निर्मित मिट्टी कर ढेर) भी विशिष्ट अवयवरचनायुक्त होने से घट के समान कुम्हार द्वारा बना हुआ सिद्ध हो जायेगा।" अत: अवयवरचना मात्र को देखकर उसके बुद्धिमान कर्ता की कल्पना मिथ्या है। उसी अवयवरचना के विशिष्ट कर्ता का अनुमान किया जा सकता है, जिस अवयवरचना का बुद्धिमान कर्ता प्रत्यक्ष देखा जाता है। शरीर और जगत की विशिष्ट अवयव रचना को देखकर उस पर से अदृष्ट ईश्वर की कल्पना युक्ति विरुद्ध
है।
यदि कहे कि ईश्वर सर्वव्यापक होने से निमित्त रूप से घटादि रचना में अपना व्यापार करता है। तो इस प्रकार से दृष्ट की हानि तथा अदृष्ट की कल्पना का प्रसंग आयेगा। क्योंकि घट का कर्ता कुम्हार प्रत्यक्ष उपलब्ध (इष्ट) है, उसे न मानना दृष्ट की हानि है और घट बनाता हुआ ईश्वर कभी नहीं देखा जाता तथापि उसे घट का निमित्त मानना अदृष्ट की कल्पना है। जिसके सम्बन्ध से जिसकी उत्पत्ति होती है, वही उसका कारण माना जाता है, जैसे- चैत्र नामक 300 / सूत्रकृतांग सूत्र का दार्शनिक अध्ययन
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