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उसने कहा - कुलपरम्परा के सर्वक्षय को रोकने के लिये आप एक पुत्र को जीवनदान दे । राजा ने ज्येष्ठ पुत्र को जीवनदान देकर मुक्त कर दिया | S
साधु भी श्रावक को सम्पूर्ण प्राणातिपात से विरत होने का उपदेश देते है, जैसे वणिक् ने छहों पुत्रों के जीवनदान की याचना की थी। जब श्रावक सर्व प्राणातिपात से विरत होने में अपने आपको असमर्थ पाता है, तब उसे उसकी शक्ति के अनुरूप व्रत ग्रहण कराया जाता है । जब राजा ने छह, पाँच, चार, तीन, दो को मुक्त करने की प्रार्थना अस्वीकार कर ली, तब उससे कम से कम एक पुत्र को मुक्त करने का निवेदन किया गया। हालाँकि वणिक् के मन सभी पुत्रों के प्रति समान प्रेम था, मृत्युदण्ड पाने वाले शेष पाँच पुत्रों के वध की तनिक भी अनुमति नहीं थी, वैसे ही यथाशक्ति व्रत ग्रहण करवाने पर शेष प्राणिवध की अनुमति साधु की नहीं हो सकती है। इससे अनुमतिजन्य पाप कर्मबंध की बात व्यर्थ हो जाती है । "
पार्श्वापत्यीय उदक ने गौतम स्वामी के समक्ष कुछ और प्रश्न रखे, जिनका सार संक्षेप में इस प्रकार है -
उदक - गौतम ! जब कोई श्रमणोपासक आपके श्रमण के पास प्रत्याख्यान करने आते है, तो वे अभियोगों को छोड़कर त्रस प्राणियों की हिंसा का प्रत्याख्यान करवाते है । इस प्रकार का प्रत्याख्यान कराने वाले तथा करने वाले दोनों के दुष्प्रत्याख्यान होता है। वे दोनों अपनी प्रतिज्ञा का भंग करते है। कारण कि कर्मवशात् स जीव स्थावर योनि में उत्पन्न होते है । जिसने स जीवों की हिंसा का त्याग किया है, वह स्थावर जीवों का घात करता हुआ, स्थावरकाय में उत्पन्न सजीवों की भी हिंसा करता है। क्या यह व्रतभंग नहीं है ? जैसे किसी व्यक्ति ने यह प्रतिज्ञा की कि 'मैं अमुक नागरिक पुरुष का वध नहीं करूँगा' और यदि वह नागरिक अन्यत्र जाकर अन्य नगरी का नागरिक बन जाए तो क्या उसका वध करने से व्रतभंग नहीं होता ? सुप्रत्याख्यान की परिभाषा यह होनी चाहिए की मैं सभूत प्राणी की हिंसा नहीं करूँगा।
गौतम - उदक ! तुम्हारी यह भाषा हृदय में अनुताप और सन्ताप पैदा करने वाली है । जैसे कोई व्यक्ति यह प्रतिज्ञा करता है कि मैं 'ब्राह्मण को नहीं मारूँगा।' वह ब्राह्मण किसी वर्णान्तर में या मरकर तिर्यंच में उत्पन्न हो जाता है, तो क्या उस वर्णान्तर या तिर्यंच के वध से ब्राह्मण का वध होना माना जायेगा ? क्योंकि प्रतिज्ञा करते समय उसने 'ब्राह्मण भूत' नहीं कहा था। तुम्हारा यह
सूत्रकृतांग सूत्र का सर्वांगीण अध्ययन / 217
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