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मृगचक्र - ग्राम, नगर के प्रवेश पर अरण्य पशुओं के दर्शन या शब्द श्रवण के आधार पर शुभ-अशुभ बताने वाला शास्त्र। वायस परिमण्डल - कौए आदि पक्षियों की अवस्थिति और शब्द के आधार पर शुभ-अशुभ बताने वाला शास्त्र । पांसुवृष्टि - धूल की वृष्टि के आधार पर शुभाशुभ बताने वाला शास्त्र।
केशवृष्टि - केश वृष्टि के आधार पर शुभाशुभ बताने वाला शास्त्र । 44. माँसवृष्टि - माँस वृष्टि के आधार पर शुभाशुभ बताने वाला शास्त्र ।
रूधिरवृष्टि - रक्त की वृष्टि के आधार पर शुभाशुभ बताने वाला शास्त्र। वैताली - वेताल के सिद्ध होने पर इच्छित देशकाल में दण्डे को ऊँचा उठाने वाली विद्या। अर्धवैताली - वैताली की प्रतिपक्षी विद्या। अवस्वापिनी - निद्रा की प्रतिपक्षी विद्या । तालोद्घाटिनी - ताले को खोलनेवाली विद्या । श्वपाकी - मातंगी विद्या। महर्षि कश्यप के सबसे छोटे पुत्र मतंग ने मानसिक व्याधि की चिकित्सा के लिये जो वैज्ञानिक क्रम आविष्कृत किया, वह 'मातंगी विद्या' के रूप में प्रसिद्ध है।" शाबरी - शाबरी जाति की या शबर भाषा में निबद्ध विद्या। द्राविडी - तमिल, तेलगु तथा कन्नड तीनों द्राविडी भाषाएँ है। उनमें निबद्ध विद्या द्राविडी है। कालिंगी - कलिंग देश की भाषा में निबद्ध विद्या। गौरी - एक मातंग विद्या। गान्धारी - एक मातंग विद्या । अवपतनी - नीचे गिराने वाली विद्या।
उत्पतनी - ऊँचा उठाने वाली विद्या । 58. जृम्भणी - उबासी लाने वाली विद्या।
स्तंभनी - स्तंभित करने वाली विद्या । श्लेषणी - जंघा तथा ऊरू को आसन से चिपकाने वाली विद्या ।
आमयकरणी - रोग उत्पन्न करने वाली विद्या। 186 / सूत्रकृतांग सूत्र का दार्शनिक अध्ययन .
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