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अचित्त द्रव्य पौण्डरीक है।
__ (3) मिश्र द्रव्य पौण्डरीक - मिश्र द्रव्यों में जो श्रेष्ठ है, वे मिश्र पौण्डरिक है। जैसे आभूषणों से अलंकृत तीर्थंकर, चक्रवर्ती आदि।
द्रव्य पौण्डरीक के अन्य तीन विकल्प इस प्रकार है - (1) एकमविक - एक भव के बाद पुण्डरीक में उत्पन्न होने वाला। (2) बद्धायुष्क - जिस जीव के पुण्डरीक का आयुष्य बंध हो गया है।
(3) अभिमुखनामगोत्र - जो जीव कुछ ही समय पश्चात पुण्डरीक में उत्पन्न होगा।
4. क्षेत्र पुण्डरीक - लोक में जो क्षेत्र शुभ अनुभाव वाले है, वे क्षेत्र पौण्डरीक है। जैसे - देवकुरु, उत्तरकुरु आदि।
5. काल पुण्डरीक - जो प्राणी भवस्थिति तथा कायस्थिति से पुण्डरीक है, वे काल पौण्डरीक है।
(1) भवस्थिति - अनुत्तरोपपातिक देव, जो उपपात (जन्म) से च्यवन (मरण) तक सुख का ही अनुभव करते है।
(2) कायस्थिति - शुभ कर्म वाले मनुष्य, जो 7/8 भव में निर्वाण प्राप्त करने वाले होते है। ... 6. गणना पौण्डरीक - गणित के परिकर्म आदि दस प्रकार है। उनमें रज्जु गणित श्रेष्ठ है।
7. संस्थान पुण्डरीक - छह संस्थानों में समचतुरस्त्र संस्थान श्रेष्ठ है।
8. भाव पुण्डरीक - औदयिक, औपशमिक, क्षायिक, क्षायोपशिमक, पारिणामिक तथा सन्निपातिक - इन भावों में जो श्रेष्ठ होता है, वह भाव पुण्डरीक
है।
(अ) औदयिकभाव पौण्डरीक - तीर्थंकर तथा अनुत्तरोपपातिक देव, श्वेत कमल आदि।
(ब) औपशमिकभाव पुण्डरीक - पूर्ण उपशान्त मोह की स्थिति वाले। (स) क्षायिक भाव पुण्डरीक - केवलज्ञानी। (इ) पारिणामिकभाव पुण्डरीक - भव्य जीव । (फ) सन्निपातिकमाव पुण्डरीक - सिद्ध ।
इसी प्रकार ज्ञान में केवलज्ञानी, दर्शन में क्षायिक सम्यक्त्वी, चारित्र में यथाख्यान चारित्री, विनय में अभ्युत्थानादि विनययुक्त, अध्यात्म में अनाशंसी 174 / सूत्रकृतांग सूत्र का दार्शनिक अध्ययन
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