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________________ 1. 2. - सन्दर्भ एवं टिप्पणी 122/123 सूत्रकृतांग नियुक्ति गाथा सूत्रकृतांग नियुक्ति गाथा - 124 14. ग्रन्थ अध्ययन सूत्रकृतांग सूत्र के चतुर्दश अध्ययन का नाम 'ग्रन्थ' है। इस अध्ययन का आदि पद भी 'गंथ' है । ग्रन्थ शब्द का सामान्य अर्थ - गाँठ, पुस्तक अथवा शास्त्र होता है। नियुक्तिकार ' ने ग्रन्थ शब्द का अर्थ बाह्याभ्यन्तर परिग्रह किया है । बाह्य ग्रन्थ के मुख्य दस प्रकार है 1. क्षेत्र 2. वस्तु 3. धन-धान्य 4. ज्ञातिजन व मित्र 5 वाहन 6. शयन 7 आसन 8. दासीदास 9. स्वर्ण रजत और 10. विविध सामग्री । इन दस प्रकार के बाह्य ग्रन्थों में मूर्च्छा रखना ही ग्रन्थ है | आभ्यन्तर ग्रन्थ के चौदह प्रकार है 1. क्रोध 2. मान 3. माया 4. लोभ 5. स्नेह 6. द्वेष 7. मिथ्यात्व 8. कामाचार 9. संयम में अरूचि 10. असंयम में रूचि 11. विकारी हास्य 12. शोक 13. भय और 14. घृणा । जो इन दोनों प्रकार के ग्रन्थों (परिग्रह ) से रहित है, वही निर्ग्रन्थ है। उत्तराध्ययन के क्षुल्लक निर्ग्रन्थीय अध्ययन में भी यही बात कही गयी है । ' जो दोनों ग्रन्थों से रहित है तथा संयम मार्ग की प्ररूपणा करने वाले आचारांग आदि ग्रन्थों का अध्ययन करते है, वे शिष्य कहलाते है। शिष्य दो प्रकार के होते है 1. दीक्षा शिष्य 2. शिक्षा शिष्य । दीक्षा देकर बनाया गया शिष्य, दीक्षा शिष्य कहलाता है। तथा शिक्षा देकर बनाया गया शिष्य, शिक्षा शिष्य कहलाता है । " - Jain Education International - शिष्य की तरह गुरु या आचार्य भी दो प्रकार के होते है 1. दीक्षा गुरु 2. शिक्षा गुरु । दीक्षा देने वाला दीक्षा गुरु है तथा शिक्षा देने वाला शिक्षा गुरु है । शिक्षा लेने व उसके अनुसार आचरण करने की अपेक्षा से, इसी प्रकार मूलगुण तथा उत्तरगुण आसेवना के भेद से भी शिष्य के दो अथवा अनेक भेद होते है । ऐसे ही शिक्षा गुरु के भी जानना चाहिये । प्रस्तुत अध्ययन में 27 गाथाएँ है, जिनमें शैक्षक (शिक्षा शिष्य) तथा शिक्षक (शिक्षा गुरू) कौन होने चाहिये, उनकी प्रवृत्ति कैसी होनी चाहिये, उनके क्या - क्या कर्तव्य है, आदि की विवक्षा की गयी है । 164 / सूत्रकृतांग सूत्र का दार्शनिक अध्ययन For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003613
Book TitleAgam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Ka Darshanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNilanjanashreeji
PublisherBhaiji Prakashan
Publication Year2005
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Philosophy, & agam_related_other_literature
File Size18 MB
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