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3. आन्दोलन मार्ग - जिसे झूले में बैठकर पार किया जाये। व्यक्ति झुले के
सहारे एक पहाड़ से दूसरे पहाड़ पर पहुँच जाता। 4. वेत्र मार्ग - बेंत की लता को पकड़कर पार किया जाने वाला नदी
मार्ग। 5. रज्जु मार्ग - रस्सी के सहारे एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचने
का मार्ग। 6. दवन मार्ग - दवन अर्थात् वाहन । उनके आने-जाने का मार्ग । 7. बिल मार्ग - . गुफा के आकार वाले मार्ग। 8. पाश मार्ग - जिसमें व्यक्ति अपनी कमर को रज्जु से बाँधकर रज्जु
के सहारे आगे बढ़ता । स्वर्ण की खदान में रज्जु के सहारे
ही उतरता और पुन: बाहर आता। 9. कीलक मार्ग - जहाँ स्थान-2 पर खम्भे बनाये जाते और पथिक उन्हीं
के सहारे आगे बढ़ता। 10. अजा मार्ग - जिसमें से केवल बकरी निकल सके, इतनी संकरी पगडंडी। 11. पक्षिपथ - आकाश मार्ग जिससे भारण्ड आदि विशालकाय पक्षियों
के सहारे इस मार्ग का यातायात होता था। 12. छत्र मार्ग - जहाँ छत्र के बिना आना-जाना निरापद न हो। 13. जल मार्ग - नौका, जहाज आदि से यातायात करने का मार्ग। 14. आकाश मार्ग - देवपथ, जो चारणलब्धि सम्पन्न मुनियों, विद्याधरों तथा
मंत्रविदों के आने-जाने का मार्ग हो। ये सभी द्रव्यमार्ग है। क्षेत्रमार्ग - जिस क्षेत्र में जो मार्ग है, वह क्षेत्रमार्ग है। कालमार्ग - जिस काल में जो मार्ग है, वह कालमार्ग है।
भाव मार्ग - जिससे आत्मा को समाधि तथा शान्ति मिले, वह भाव मार्ग है। भावमार्ग प्रशस्त तथा अप्रशस्त भेद से दो प्रकार का है। ये दोनों ही पुन: तीन-तीन भेद वाले है। सम्यक् दर्शन-ज्ञान-चारित्र रूप भावमार्ग प्रशस्त है। मिथ्यात्व-अविरति-अज्ञान रूप भावमार्ग अप्रशस्त है। प्रशस्त भावमार्ग सुगति फलप्रदायक है, जबकि अप्रशस्त भावमार्ग दुर्गति फल का देने वाला है।'
. प्रस्तुत अध्ययन में सुगतिदायक प्रशस्त भावमार्ग का ही निरूपण है। दुर्गति फलदायक अप्रशस्त भावमार्ग की प्ररूपणा करने वाले 363 प्रावादुकों (पाखण्डी) 152 / सूत्रकृतांग सूत्र का दार्शनिक अध्ययन
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