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तत्वार्थ सूत्र, 3/6 12... (आसूत्रकृतांग नियुक्ति गाथा - 67
(ब) सूत्रकृतांग वृत्ति पत्र - 124 (अ) सूत्रकृतांग नियुक्ति गाथा - 68-84 (ब) सूत्रकृतांग वृत्ति पर - 125-126 ठाणं, 10/108 सूयगडो, 1/5/1/6 . सूयगडो, 1/5/1/16 तत्वार्थ सूत्र - 2/47 तत्वार्थ सूत्र पृ. 124/पं. सुखलालजी (अ) सूयगडो, 1/5/2/9 (च) सूत्रकृतांग वृत्ति पत्र - 137 अभिधम्म कोश, पृ. 372 आचार्य नरेन्द्रदेवकृत सूयगडो, 1/5/2/24
6. महावीर स्तव (वीरस्तुति) अध्ययन सूत्रकृतांग सूत्र (प्र. श्रु.) के षष्ठं अध्ययन का नाम 'महावीर स्तव' है। इस अध्ययन का नाम 'महावीर स्तव' इसलिये रखा गया क्योंकि इसमें श्रमण भगवान महावीर की अनेक श्रेष्ठ उपमाओं के द्वारा स्तुति की गयी है। समवायांग में इसका नाम 'महावीर स्तुति' उपलब्ध है।' 'स्तव' और 'स्तुति' दोनों एकार्थक ही हैं।
जिन्होंने बन्धन के हेतुभूत मिथ्यात्व, अविरति, प्रमाद, कषाय और अशुभ योगों का रोध कर दिया है, जिन्होंने ज्ञानावरणीयादि चार घाती कर्मों का विदारण कर दिया है, जिन्होंने अनुकूल-प्रतिकूल समस्त उपसर्गों को पराजित कर दिया है तथा जो नरकादि चारों गतियों के बंध कारणों से मुक्त हो गये है, उन श्रमण शिरोमणि भगवान महावीर के ज्योर्तिमय जीवन की आदर्श झाँकी का प्ररूपण प्रस्तुत अध्ययन में किया गया है।
पूर्व प्रतिपादित पाँचों अध्ययनों में साधक के राग-द्वेष, अविरति, अब्रह्म, आसक्ति से होने वाले प्रगाढ़ कर्म बन्धन, उनके फलस्वरूप प्राप्त नरक के दु:खों का विस्तार से वर्णन तथा उनसे बचने के उपायों का सांगोपांग निरूपण किया
सूत्रकृतांग सूत्र का सर्वांगीण अध्ययन / 135
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