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3. द्रव्य समय - सचित्त या अचित्त द्रव्य का स्वभाव-गुणधर्म। जैसेजीव द्रव्य का उपयोग, धर्मास्तिकाय का गति स्वभाव । अथवा - जिस द्रव्य का वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श के माध्यम से जो स्वभाव अभिव्यक्त होता है, वह 'द्रव्य-समय' कहलाता है। जैसे- (क) वर्ण से भ्रमर काला है, हल्दी पीली है, चन्द्र श्वेत है। (ख) गन्ध से- चन्दन सुगन्धयुक्त है, लहसुन दुर्गन्धयुक्त है। (ग) रस से- नीम तिक्त है, गुड मीठा है, नींबू खट्टा है। (घ) स्पर्श से- पाषाण कर्कश है, भारी है, पक्षी की पाँख हल्की है, बर्फ ठण्डा और आग गरम है। अथवाजिस द्रव्य का जो उपयोग-काल है वह भी 'द्रव्य समय' कहलाता है। जैसेदूध के उष्ण-अनुष्ण के आधार पर उसका उपयोग करना । वर्षा ऋतु में लवण, शरद ऋतु में जल, हेमन्त में गाय का दूध, शिशिर में आँवले का रस, वसन्त में घृत, ग्रीष्म में गुड- ये सारे अमृत-तुल्य होते है।'
4. क्षेत्र समय - (क) आकाश का स्वभाव। (ख) ग्राम, नगर आदि का स्वभाव।
(ग) देवकुरू आदि क्षेत्रों का स्वभाव-प्रभाव, जैसे- वहाँ के सभी प्राणी सुन्दर, सदा सुखी और वैर रहित होते है।
अथवा- क्षेत्र आदि को संवारने का समय।
अथवा- ऊर्ध्व, अधो और तिर्यक्लोक का स्वभाव।
5. काल समय - काल में होने वाला स्वभाव । जैसे- सुषमा आदि काल में द्रव्यों का होने वाला स्वभाव ।
6. कुतीर्थ समय - अन्य तीर्थकों की धार्मिक मान्यता। जैसे- कुछ दार्शनिक हिंसा में, तो कुछ स्नान, उपवास, वनवास में ही धर्म मानते है।
7. संगार समय - संकेत का समय। जैसे- पूर्वकृत संकेतानुसार सिद्धार्थ नामक सारथि ने बलदेव को सम्बोधित किया था।
8. कुल समय - कुल का धर्म- आचार-व्यवहार । जैसे- शक जातिवालों के लिये पितृशुद्धि, आभीरकों के लिए मन्थनी शुद्धि।
9. गण समय - गण की आचार व्यवस्था।
10. संकर समय - भिन्न-भिन्न जातिवालों का समागम और उनकी एकवाक्यता।
11. गण्डी समय - उपासनापद्धति । जैसे- भिक्षु को प्रात: पेज्जागंडी, 102 / सूत्रकृतांग सूत्र का दार्शनिक अध्ययन
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