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सूत्रकृतांग सूत्र का सर्वांगीण अध्ययन
प्रथम श्रुतस्कन्ध
1. समय अध्ययन सूत्रकृतांग सूत्र के प्र. श्रु. के प्रथम अध्ययन का नाम 'समय' है। शब्दकोष में समय के कई अर्थ प्रतिपादित किये गये है, यथा - काल, शपथ, सौगन्ध, आचार, सिद्धान्त, आत्मा, अंगीकार, स्वीकार, संकेत, निर्देश, भाषा, सम्पत्ति, आज्ञा, शर्त, नियम, अवसर, कालविज्ञान, समय-ज्ञान, नियम बाँधना, शास्त्र, प्रस्ताव, आगम, नियम, सर्वसूक्ष्मकाल, रिवाज, सामायिक, संयमविशेष, सुन्दर परिणाम, मत, परिणमन, दर्शन, पदार्थ आदि।
प्रस्तुत सूत्र में "समय" शब्द सिद्धान्त, आगम, आचार, शास्त्र, मत, दर्शन तथा नियम आदि अर्थों में प्रयुक्त हुआ है।'
नियुक्तिकार ने "समय" शब्द के 12 निक्षेप प्रस्तुत किये हैं - 1. नाम समय, 2. स्थापना समय 3. द्रव्य समय 4. काल समय 5. क्षेत्र समय 6. कुतीर्थ समय 7. संगार (संकेत) समय 8. कुल समय (कुलाचार) 9. गण समय (संघाचार) 10. संकर समय (सम्मिलित एकमत) 11. गण्डी समय (विभिन्न सम्प्रदायों की प्रथा) 12 भाव समय (विभिन्न अनुकूल-प्रतिकूल समय)।'
चूर्णिकार' तथा वृत्तिकार ने इनकी व्याख्या इस प्रकार प्रस्तुत की है - 1. नाम समय - किसी का नाम 'समय' हो। 2. स्थापना समय - किसी वस्तु में 'समय' की आरोपणा करना।
सूत्रकृतांग सूत्र का सर्वांगीण अध्ययन / 101
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