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5. निर्युक्ति व वृत्ति सहित सूत्रकृतांग के मूलपाठ का प्रकाशन वि.सं. 1950 में श्री गोडीपार्श्व जैन ग्रंथमाला द्वारा दो भागों में हुआ है । इस प्रति का संशोधन- सम्पादन चन्द्रसागरजी गणी ने किया है। 6. सूत्रकृतांगचूर्णि का प्रकाशन ऋषभदेव केशरीमलजी श्वेताम्बर संस्था, रतलाम द्वारा 1941 में हुआ है ।
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आगमप्रभाकर पुण्यपुरुष पुण्यविजयी म. ने सूत्रकृतांग सूत्र की नियुक्ति वचूर्णिका सम्पादन - संशोधन किया है, जिसका प्रकाशन प्राकृत टेक्स्ट सोसाइटी द्वारा 1975 में हुआ है ।
आगम-मर्मज्ञ मुनिप्रवर श्री जम्बुविजयजी म. ने सूत्रकृतांग सूत्र का बहुत ही सुक्ष्मता एवं श्रमपूर्वक सम्पादन किया है। यह महावीर जैन विद्यालय, मुम्बई द्वारा सन् 1978 में प्रकाशित है।
9. आचारांग - सूत्रकृतांग की नियुक्ति तथा वृत्ति का सम्मिलित सम्पादन पूज्य जम्बु विजयजी म. ने किया है, जिसका प्रकाशन मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली द्वारा हुआ है ।
10. श्री हर्षपुष्पामृत जैन ग्रन्थमाला के द्वारा तीन विभाग में प्रकाशित सूत्रकृतांग का संशोधन संपादन आचार्य जिनेन्द्र सूरि ने किया है। इसमें भद्रबाहु कृत नियुक्ति, जिनदासगणि कृत चूर्णि, श्री शीलाङ्काचार्य - श्री हर्ष कुलगणि- श्री साधुरंगगणि कृत टीकाओं का समावेश है। इसके प्रथम तथा द्वितीय भाग में प्रथम श्रुतस्कन्ध व तृतीय भाग में द्वितीय श्रुतस्कन्ध है ।
11. ‘अंगसुत्ताणि' नामक ग्रन्थ में आचारांग, सूत्रकृतांग आदि प्रारम्भिक आगमचतुष्क का मूलपाठ संकलित है। इसका सम्पादन आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा तथा प्रकाशन जैन विश्व भारती, लाडनूँ द्वारा हुआ है। 12. 'नियुक्ति पंचक खण्ड - 3' नामक ग्रन्थ में पाँच नियुक्तियों में सूत्रकृतांग नियुक्ति भी समाविष्ट है। इसका सम्पादन समणी कुसुमप्रज्ञा ने तथा हिन्दी अनुवाद मुनि दुलहराजजी ने किया है। इसमें पाँच नियुक्तियों के मूलपाठ पाठान्तर सहित है तथा पीछे हिन्दी अनुवाद एवं नियुक्तिगत कथाओं का भी समावेश है ।
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13. सूत्रकृतांग की हर्षकुलकृत दीपिका का प्रकाशन श्री जिनशासन आराधना ट्रस्ट, मुंबई द्वारा दो भागों में वि.सं. 2049 में हुआ है। इसके संशोधक
96 / सूत्रकृतांग सूत्र का दार्शनिक अध्ययन
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