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गुजराती अनुवाद
1. सूत्रकृतांग सूत्र का सर्वप्रथम गुर्जर भाषान्तर त्रिभोवनदास रूघनाथदास कृत प्राप्त होता है । यह अनुवाद एक शती पूर्व का है, जो दो भागों में प्रकाशित है । " प्रथम भाग में प्रथम श्रुतस्कन्ध तथा द्वितीय भाग
द्वितीय श्रुतस्कन्ध अनूदित है, जो मूलपाठ से रहित मात्र गुजराती भाषान्तर है तथापि सूत्र के शब्दार्थ व भावार्थ को स्पष्ट करने का यथासम्भव प्रयास इसमें दृष्टिगोचर होता है ।
2. गुर्जर भाषा में द्वितीय अनुवाद माणेकमुनि ने किया है। सम्भवत: यह गुजराती भाषा में प्रथम अनुवाद होगा, जो शीलांकवृत्ति पर आधृत हो । यह अनुवाद निश्चय ही सम्पूर्ण प्रकाशित हुआ होगा परन्तु कितने भागों में प्रकाशित हुआ, इसके विषय में कुछ नहीं कहा जा सकता क्योंकि मुझे विभिन्न ज्ञानभंडारों में खोज करने पर भी मात्र प्रथम (2 अध्ययन ) व द्वितीय ( 3 से 7 अध्ययन ) भाग ही उपलब्ध हो सके है। 70 इस अनुवाद में माणेकमुनि ने संक्षेप में भी विषयगत रहस्य को स्पष्ट करने का सार्थक पुरुषार्थ किया है। यह अनुवाद 8 दशक पूर्व का है। 3. अनुवाद की श्रृंखला में सूत्रकृतांग सूत्र का तृतीय गुजराती अनुवाद भीखालाल गिरधरलाल शेठ से किया है। यह अनुवाद मूलपाठ तथा शीलांकवृत्ति के आधार पर ही किया गया है, जो चार भागों में विभक्त है । तीन भाग में प्रथम श्रुतस्कन्ध तथा चतुर्थ भाग में द्वितीय श्रुतस्कन्ध प्रकाशित है। "
4.
लींबडी स्था. संप्रदाय के तपस्वी पं. डुंगरशी म. ने भी सूत्रकृतांग के मूलपाठ का गुजराती भाषांतर किया है। 72
5. गोपालदास जीवाभाई पटेल ने सूत्रकृतांगसूत्र का हिन्दी के साथ गुजराती छायानुवाद भी किया है। यह अनुवाद 'महावीर स्वामीनो संयम- धर्म' नामक पुस्तिका के रूप में अहमदाबाद से प्रकाशित है।" इसमें मूलपाठ नहीं दिया गया है। मात्र गाथाओं का अतिसंक्षेप में गुजराती छायानुवाद है । कहीं-कहीं पर विषय की स्पष्टता के लिये अध्ययन के अन्त में टिप्पण भी दिये गये है । सूत्रकृतांग के दोनों श्रुतस्कन्ध इस लघुका पुस्तिका में समाविष्ट है ।
94 / सूत्रकृतांग सूत्र का दार्शनिक अध्ययन
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