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________________ 648 असहयोग आन्दोलन में सरकारी यातनाओं की परवाह न कर आपते दो बार जेल गई। विदेशी कपड़े की दुकानों पर पिकेटिंग में आपने कई बार जत्थों का नेतत्व किया । सन् १६३० में हुए नमक सत्याग्रह में भी आप सुप्रसिद्ध ओसवाल महिला सज्जन देवी महनोत के साथ सक्रिय रही। नागपुर के सामाजिक कार्यो मे आपका अविस्मरणीय योगदान था। आपके असामयिक निधन से समाज की अपूरणीय क्षति हुई । ६३ ७.७० श्रीमती धनवती बाई रांका: आधुनिक काल की जैन श्राविकाओं का अवदान राष्ट्रीय स्वतंत्रता आन्दोलन में ओसवालों के योगदान को चार चाँद लगाने वाली थी नागपुर के प्रसिद्ध समाज सेवी, श्री पूनमचन्दजी रांका की धर्म पत्नी श्रीमती धनवती बाई रांका । आप राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लेनेवाली महिला थी। वे अनेक बार जेल गई। आपने खादी एवं चरखे को अपने जीवन का अंग बना कर समस्त जैन समाज को गौरव प्रदान किया ।६४ ७.७१ श्रीमती नन्दू बाई ओसवाल : बीसवीं सदी के पूर्वार्द्ध में महिलाओं की जिस क्रांति के दर्शन राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में हुए सामाजिक क्षेत्र भी उससे अछूता न रहा । श्रीमती नन्दू बाई ओसवाल उन अग्रगण्य महिलाओं में थी जिन पर समाज को गर्व हो सकता है। समाज सेवा और साहित्य के क्षेत्रों में आपका अवदान अविस्मरणीय है । ६५ ७.७२ रमा बहन के शब्दो में: हमारा कैम्प मिलिटरी कैम्प था । उसमें प्रत्येक प्रकार के शस्त्र संचालन और अनुशासन पालन सिखाया जाता था । 'झांसी की रानी रेजीमेंट' में दो विभाग थे। एक युद्ध विभाग और दूसरा नर्सिंग विभाग । युद्ध विभाग में मिलिटरी ड्रिल, रायफल प्रेक्टिस, पिस्तौल चलाना, मशीनगन चलाना सिखाया जाता था। नर्सिंग विभाग में घायलों की सेवा सुश्रूषा करना सिखाया जाता था। सभी बहनें निष्ठापूर्वक कार्य करती थी, इस आशा को लेकर कि हमारे प्रयत्नों से एक दिन भारत देश अवश्य स्वतन्त्र होगा । ६६ ७.७३ श्रीमती लेखवती जैन: जैन जाति की सरोजनी नायडू कही जाने वाली श्रीमती लेखवती जैन प्रसिद्ध राजनैतिक कार्यकर्त्ता श्री सुमत प्रसाद जैन, एडवोकेट की पत्नी थी। लेखवती जी ने १६३० में कांग्रेस मे प्रवेश लिया था। उन्होंने कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में बतौर वालंटियर काम किया था । १६३१ में शिमला में असेम्बली पर पिकेटिंग की थी। श्रीमती जैन ने नमक सत्याग्रह एवं सविनय अवज्ञा आन्दोलन में सक्रिय भाग लिया था । १६३३ में श्रीमती लेखवती जैन पंजाब प्रांतीय कौंसिल की मेंबर चुनी गयी थी। सारे हिन्दुस्तान में चुनाव में निर्वाचित पहली महिला सदस्य होने का गौरव उन्हें उस समय प्राप्त हुआ था। बाद में आप हरियाणा विधानसभा की स्पीकर भी रही । एक जागरुक महिला के रूप में वे सदा स्मरणीय रहेंगी । ६७ ७.७४ श्रीमती विद्यावती देवड़िया : श्रीमती विद्यावती देवड़िया विदर्भ गौरव नाम से विख्यात श्री पन्नालाल देवड़िया की पत्नी थी। देशभक्त पति की प्रेरणा से विद्यावती ने १६२६ में स्वतंत्रता आन्दोलन में प्रवेश किया । आन्दोलन मे जिस लगन और धैर्य का परिचय आप ने दिया वह नारी जगत के लिए गौरव की बात है। राष्ट्रीय आन्दोलनों से जुडी होने के कारण, आप अनेक बार जेल गयी। स्वतंत्रता आन्दोलन में सर्वप्रथम सन् १६३२ में दो आपको माह के कठोर कारावास तथा ५००० रुपये के जुर्माने या ६ सप्ताह के कारावास की सजा हुई थी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी आपको अपनी बेटी की तरह मानते थे । व्यक्तिगत सत्याग्रह आन्दोलन में श्रीमती विद्यावती को ६ माह की सजा सुनाई गयी और नागपुर की सेन्ट्रल जेल में रखा गया । १६४२ के भारत छोड़ो आन्दोलन में भी आप सक्रिय रहीं । फलतः आपको गिरफ्तार कर एक वर्ष तक जबलपुर जेल में रखा गया । ७.७५ श्रीमती सरला देवी साराभाई : श्रीमती सरला देवी साराभाई उद्योगपति श्री अंबालाल साराभाई की पत्नी थी। स्वतंत्रता आन्दोलनों में उन्होनें सक्रिय भाग लिया । १९३० में गांधीजी की दांडी यात्रा में महिलाओं का नेतत्व सरला देवी को सौंपा गया था । विदेशी वस्त्रों की दुकानों पर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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