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जैन श्राविकाओं का बृहद इतिहास
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धरना देने वाले जत्थों का भी वह नेतत्व करती थी। बा के निधन के बाद कस्तूरबा स्मारक ट्रस्ट का संचालन आपको सौंपा गया था ६६ ७.७६ श्रीमती सुन्दर देवी जैनः
१६४२ के स्वतंत्रता आन्दोलन में श्रीमती सुन्दर देवी जैन ने भाग लिया था। वे अपनी कविताओं से लोगों में देश-प्रेम की भावना भरती थी। ७.७८ श्रीमती अंगूरी देवीः
महान देशभक्त महेन्द्र कुमार जी जैन (आगरा) की पत्नी अंगूरी देवी स्वतंत्रता आंदोलन में अपने पति की सहयोगिनी बनी। २६ जनवरी, १६३० को पूर्ण स्वाधीनता दिवस मनाने के निर्देश पर की गई सार्वजनिक सभा में अंगूरी देवी ने सैनिक प्रेस की छत पर खड़े होकर भाषण दिया। फलस्वरुप आपको जेल भेज दिया गया। आप गर्भवती थी, फिर भी ६ माह की सजा सुनाई गई। नमक सत्याग्रह में उन्होंने सार्वजनिक रुप से नमक कानून को भंग किया। इस दौरान उनके साथ सरोजिनी नायडू भी थी, जिन्होंने जगह-जगह महिलाओं को सत्याग्रह की प्रेरणा दी। अंगूरी देवी को गिरफ्तार किया गया और ६ माह की सजा एवं जुर्माना हुआ। १६३२ के सत्याग्रह के बाद आप हिंसात्मक क्रांतिकारी गतिविधियों में सक्रिय हो गई। 'करो या मरो' आंदोलन में अंगूरी देवी ने आगरा में जुलूस का सफल नेतत्व किया। उनके साथ महिलाओं ने बड़ी संख्या में इस आंदोलन में भाग लिया। ७१ ७.७६ श्रीमती कमला देवी:
प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी एवं पत्रकार पंडित परमेष्ठीदास जैन (ललितपुर) की धर्म पत्नी श्रीमती कमला देवी ने राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लेकर जैन नारियों का गौरव बढ़ाया। १६४२ के जन आंदोलन में आपने सक्रिय भाग लेकर सामाजिक परंपराओं के दायरे में नारी वर्ग को एक दिशा प्रदान की। सभाबंदी कानून भंग करके सभा में भाषण देने के कारण आपको साबरमती जेल में पांच माह रहना पड़ा/७२ ७.८०कांचन जैन मुन्नालाल शाह:
पूज्य बापू के आश्रम में अनेक वर्षों तक रहने वाली कांचन जैन मुन्नालालशाह का जन्म चिखोदरा (गुजरात) में हुआ था। बाद में वह वर्धा (महाराष्ट्र) प्रवासिनी हो गई थी, देश की आजादी को ही अपना सर्वोच्च लक्ष्य निर्धारित करने वाली कांचन जैन ने १६४२ के भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रियता से भाग लिया और एक वर्ष बारह दिन का कारावास भोगा/७३ ७.८१श्रीमती केशरबाई:
भारत माता के चरणों में सर्वस्व न्यौछावर करने वाली केशरबाई ललितपुर निवासी श्री मोतीलाल जैन की धर्मपत्नी थी। महात्मा गांधी की प्रेरणा से श्रीमती केशरबाई आजादी के रणक्षेत्र में कूद पड़ी। वे नारी जाति को जागत करने में जुट गई और कांग्रेस की सक्रिय कार्यकर्ती हो गई। १६४१ का व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन प्रत्येक कार्यकर्ता को स्वतंत्रता के लिए प्रेरित कर रहा था। श्रीमती केशरबाई ने तन-मन-धन से इस आंदोलन में भाग लिया। फलतः एक माह के कारावास की सजा उन्हें भोगनी पड़ी। ७.८२ श्रीमती गंगाबाई:
प्रसिद्ध देशभक्त वैद्य कन्हैयालाल जैन (कानपुर) की पत्नी श्रीमती गंगाबाई जैन अपने पति के कंधे से कंधा मिलाकर स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रही। साइमन कमीश्न वापस जाओ, दांडी यात्रा, नमक सत्याग्रह आदि आंदोलनों तथा सत्य, अहिंसा और भाईचारे की नीति ने गांधी जी को जनता के बीच में ला दिया था। इसी क्रम में १६३१ के आंदोलन के समय जब उत्तर प्रदेश कांग्रेस का जलसा श्रद्धेय पुरुषोत्तम दास जी टंडन के सभापतित्व में हुआ तो उसकी स्वागताध्यक्ष बनने के कारण श्रीमती गंगाबाई को ६ माह का कारावास झेलना पड़ा/७५
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