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जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास
पर रहते हुए जन सेवा के कई कार्यक्रम संपन्न किये। स्वर्गीय आचार्य रजनीश ने इन्हें अपनी पूर्व जन्म का नाता किया था। जम्मू की श्रीमती कलावती जैन ने ५० वर्षो तक स्त्री-सभा के मंत्री पद पर कार्यरत रहते हुए समाज में हर तरह से अपना सहयोग प्रदान किया है। साधु साध्वियों को शिक्षा के रूप में तथा विहार सेवा के रूप में भरपूर सेवायें समर्पित की हैं। लुधियाना की देवकी देवी, मोहनदेवी आदि महिलाओं की सेवायें भी चिर स्मरणीय हैं। श्रीमती शकुंतला देवी लूंकड़ ने समाज के लिए भारी दानराशि अर्पित की है। डॉ सुषमा दुग्गड़ एक सफल डॉक्टर होते हुए समाज के लिए भी बहुमूल्य सेवायें अर्पित कर रहीं है । अरूणा अभय ओसवाल (लुधियाना) ने बी. एल. एल. आई, इंस्टीटयूट के लिए सौ करोड़ रूपये की दानराशि प्रदान की। जैन मंदिरों के एवं स्थानकों के निर्माण में इनकी सेवायें अनमोल हैं।
न्यायालय के रास्ते पर बढ़नेवाली महिलाओं में दिल्ली शक्तिनगर निवासी श्रीमती पद्मा जैन का नाम उल्लेखनीय है। आप दिल्ली संभाग की प्रथम जैन महिला वकील हैं। आपने रोगियों के लिए उच्च शिक्षा तथा विवाह के लिए महिलाओं का एक छोटा क्लब भी बनाया है। श्रीमती सुनिता गुप्ता १६८० में दिल्ली हाई कोर्ट में सिविल जज नियुक्त हुई थी । वर्तमान में वह तीस हज़ारी कोर्ट में जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पद पर कार्यरत हैं। इसी प्रकार पूना निवासी एडवोकेट श्रीमती प्रमिला ओसवाल बड़ी ही परिश्रमी हैं। हाल ही में आपको विशिष्ट सम्मान से सम्मानित किया गया है। ये सभी कामकाजी होते हुए भी सामाजिक एवं धार्मिक नियमों के प्रति पूर्ण रूप से जागरूक हैं एवं संत सेवा में भी तत्पर रहती हैं।
चिकित्सा के क्षेत्र में डॉ. सुधा कांकरिया नेत्र विशेषज्ञ हैं वे मुफ्त सेवाएं भी निःस्स्वार्थ भाव से प्रदान करती हैं। जम्मू की दंत चिकित्सक जया जैन अपने कैरियर में सम्यक् योग्यता पाने हेतु यू. के गई हुई हैं। नासिक की डॉ सुषमा दुग्गड़ भी रोगियों के प्रति दयार्द्र रहती हुई साथ में अनेक पारमार्थिक कार्य भी संपन्न कर रही हैं। उदयपुर की बाल चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. किरण हरपावत लेविसविले में स्थित डॉकटर्स क्लीनिक में अग्रणी बाल चिकित्सक हैं। श्रुत सेवा एवं दान में अग्रणी महिलाओं के भी सैकड़ों नाम लिये जा सकते हैं। मलेरकोटला की श्रीमती लक्ष्मी देवी एवं श्रीमती चंद्रमोहिनी जैन ने इस क्षेत्र में काफी सहयोग दिया है। बेंगलोर निवासी श्रीमती बदनी बाई सिंघवी, उनकी सुपुत्रियां मैना बहन, आरती बहन, आदि बहनें व्रत तपस्या के साथ ही श्रुत सेवा एवं दया–दान में अग्रणी रहती हैं। हाल ही पूना निवासी श्रीमती शोभा ताई रसिक धारीवाल ने तीर्थंकर महावीर के समोसरण की रचना में अपना अमूल्य सहयोग प्रदान किया है। मुंबई निवासी दिव्या जैन इंडियन हेल्थ आर्गनाइजेशन के अन्तर्गत हज़ारों गुमनाम जिंदगियों के लिए संबल है। व्यक्तिगत रूप से अनेक सुख दुखों को बांटती हैं। जयपुर की श्रीमती भंवरदेवी सुराना अपना मकान ग्रीन हाऊस हर वर्ष साधु-साध्वियों के चातुर्मास हेतु प्रदान करती हैं। वे महिला संघ में अपनी बहुमूल्य सेवायें भी अर्पित करती हैं। बैंगलोर निवासी धापू बाई पारसी बाई ने काफी दान- राशी एकत्रित कर अनेक रोगियों व अनाथों के लिए महंगी मशीनें दवाइयाँ एवं अन्य सामग्री समाज सेवाएँ प्रदान की हैं। धुलिया में धार्मिक उपकरण भंडार का संचालन श्रीमती शकुंतला देवी सांड आदि कुशल श्राविकाएँ ही करती हैं। पूना में सज्जन बाई बोथरा, डॉ रंजना लोढ़ा आदि अनेकों बहनें प्राकत साहित्य की सेवायें दे रही हैं तथा जिज्ञासुओं को सिखाने एवं तत्वज्ञान परीक्षाएं लेने में अपनी अमूल्य सेवाएँ समर्पित कर रही हैं। वर्तमान युग के इस तनावपूर्ण वातावरण में मानसिक एवं शारीरिक स्वस्थता का लाभ पहुंचाने हेतु प्राचीन ध्यान साधना के पुनर्जागरण की अति आवश्यकता महसूस की जा रही है। इस कड़ी में अनेक श्राविकाओं ने अपने जीवन को इस ध्यान साधना के अंतर्गत जोड़ा है। कुछ गहस्थ साधिकाएँ है कुछ कुमारिकाएँ भी हैं। चंडीगढ़ की कुमारी निशा जैन, जम्मू की श्रीमती ऊषा जैन, श्रीमती प्रेमलता जैन, नासिक की श्रीमती अरूणा भंडारी, लुधियाना की श्रीमती नीलम जैन, अम्बाला की ऊषा जैन, मुंबई की श्रीमती नीलम जैन, अंजली जैन आदि अनेकानेक ध्यान साधिकाओं ने स्व-पर हित के लिए ध्यान को जीवन साधना का एक अंग बनाया | कुछ साधिकाएँ स्वयं प्रतिदिन ध्यान की साधना करती हुई सजगतापूर्वक जीवन व्यतीत कर रही हैं।
हीरामणि गंगवाल ने जहाँ एक और जाप द्वारा स्वर्ण पदक प्राप्त किया है, वहीं दूसरी ओर वह साधु- संघ की आहार सेवा के लिए चौका लगाकर सेवाएँ प्रदान करती है। दिल्ली चाँदनी चौक निवासी रम्मोदेवी चोरड़िया ने वर्षो तक धार्मिक पाठशाला का संचालन किया। बेंगलोर की श्रीमती सरोज बहन भी शहर के अनेक विभागों में पाठशाला चला कर धार्मिक शिक्षण संस्था में अपनी सेवाएँ समर्पित कर रही हैं। अहमदनगर की श्रीमती पुष्पा नाहर अनेकानेक साधु साध्वियों, श्रावक-श्राविकाओं को जैन शास्त्रों का
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