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________________ 624 सोलहवीं से 20वीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ . क्र० संवत् श्राविका नाम संदर्भ ग्रंथ । पृ. . । वंश/गोत्र | प्रेरक/प्रतिष्ठापक । प्रतिमा निर्माण | गच्छ / आचार्य आदि 1888 | फतबाई पठनार्थ हीररत्न लिखित जै. गु. क. भा. 3 | 48 बार आरा स्तवन अथवा गौतम प्रजोतर स्तवन 76 कडी | 1337 | 1883 | प्रेमकुंवर पठनार्थ चौबीसी जै. गु. क. भा. 4 | 221 लिपिकृत मुनि राजविजयगणि द्वारा 1338 1816 | लक्ष्मीबाई पठनार्थ | अमृत विजय लिखित चौबीसी जै. गु. क. भा. 4 3 1339 1802 | वजी पठनार्थ जै. गु. क. भा. 4 148 दशवैकालिक 10 अध्ययन की 10 स्वाध्याय 1340 1828 | लाडू पठनार्थ नेमविजय लिखित अनाथी मुनि सज्झाय जै. गु. क. भा. 4 | 273 1341 | 1887 | बंदो,दीनाही, सुनुना | हेमकीर्तिदेव जे. जै. ले. सं. भा. | 238 1342 1883 | श्री नाथी बाई पठनार्थ | जै. गु. क. भा. 4 113 मृगालेखा रास. माणकचंद लिपिकृत 1343 श्री तुलारामजी पाण्डवपुराण प्र. सं.पृ 37 | 1831 | अनोपमा, जगां, तारमदे आदि ने लिखवाया | सुरेंद्रकीर्ति मुनिसुव्रतपुराण प्र. सं. 48 | 1850 | संतोष, सुखदे वधूदे ने लिखवाया 1824 पुराणसार संग्रह प्र. सं. हीरादे, तिलकादे, भावलदे, | खंडेलवाल रूपलदे, आदि ने लिखवाया आ श्री क्षेमकीर्ति को प्रदान की 1346 पं. कृष्णदास को प्रदान | वर्द्धमान पुराण प्र. सं. 56 1804 | मलूकदे, दोलतादे आदि ने | गंगवालगोत्र लिखवाया किया 1347 1885 | सत्याजी 80 थावाच्चपुत्र. नो. चौढालियो रा. हि. ह. ग्रं. सू. भा. 8 1348 | 19वीं | राजबाई (लिपिकता) दसठाणा विचार रा. हि. ह. ग्रं. सू. भा.5 सदी 1884 | चंपा द्वारा लिपिकृत रा. हि. ह. ग्रं. स. 101 सुदर्शन सेठ रा (कक्ति) कवित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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