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सोलहवीं से 20वीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ .
क्र०
संवत्
श्राविका नाम
संदर्भ ग्रंथ
। पृ. .
। वंश/गोत्र | प्रेरक/प्रतिष्ठापक । प्रतिमा निर्माण |
गच्छ / आचार्य
आदि
1888 | फतबाई पठनार्थ
हीररत्न लिखित
जै. गु. क. भा. 3
| 48
बार आरा स्तवन अथवा गौतम प्रजोतर स्तवन 76 कडी
| 1337
| 1883 | प्रेमकुंवर पठनार्थ
चौबीसी
जै. गु. क. भा. 4
| 221
लिपिकृत मुनि राजविजयगणि द्वारा
1338
1816 | लक्ष्मीबाई पठनार्थ
| अमृत विजय लिखित
चौबीसी
जै. गु. क. भा.
4
3
1339
1802 | वजी पठनार्थ
जै. गु. क. भा. 4
148
दशवैकालिक 10 अध्ययन की 10
स्वाध्याय
1340
1828 | लाडू पठनार्थ
नेमविजय लिखित
अनाथी मुनि सज्झाय
जै. गु. क. भा. 4 | 273
1341
| 1887 | बंदो,दीनाही, सुनुना
| हेमकीर्तिदेव
जे. जै. ले. सं. भा. | 238
1342
1883 | श्री नाथी बाई पठनार्थ
| जै. गु. क. भा. 4
113
मृगालेखा रास. माणकचंद लिपिकृत
1343
श्री तुलारामजी
पाण्डवपुराण
प्र. सं.पृ
37
| 1831 | अनोपमा, जगां, तारमदे
आदि ने लिखवाया
| सुरेंद्रकीर्ति
मुनिसुव्रतपुराण
प्र. सं.
48
| 1850 | संतोष, सुखदे वधूदे ने
लिखवाया
1824
पुराणसार संग्रह
प्र. सं.
हीरादे, तिलकादे, भावलदे, | खंडेलवाल रूपलदे, आदि ने लिखवाया
आ श्री क्षेमकीर्ति को प्रदान की
1346
पं. कृष्णदास को प्रदान | वर्द्धमान पुराण
प्र. सं.
56
1804 | मलूकदे, दोलतादे आदि ने | गंगवालगोत्र
लिखवाया
किया
1347
1885 | सत्याजी
80
थावाच्चपुत्र. नो. चौढालियो
रा. हि. ह. ग्रं. सू. भा. 8
1348
| 19वीं | राजबाई (लिपिकता)
दसठाणा विचार
रा. हि. ह. ग्रं. सू. भा.5
सदी
1884 | चंपा द्वारा लिपिकृत
रा. हि. ह. ग्रं. स.
101
सुदर्शन सेठ रा (कक्ति) कवित
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