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________________ जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास क्र० संवत् । श्राविका नाम वंश/गोत्र संदर्भ ग्रंथ प्रेरक/प्रतिष्ठापक । प्रतिमा निर्माण गच्छ / आचार्य आदि 1322 1827 | बाई सरूपा पठनार्थ | मुनि राजसी लिपिकर्ता | सावलिंगा री बात. | रा. हि. ह. ग्रं. सू. | 310 भा. 3 1323 | 1883|श्री नाथी बाई पठनार्थ जै. गु. क. भा. 4 | 113 मृगांकलेखा रास. माणकचंद लिपिकृतः 1324 श्री तुलारामजी | पाण्डवपुराण प्र. सं. 37 1831 अनोपमा, जगां, तारमदे आदि ने लिखवाया 1325 11850 सुरेंद्रकीर्ति मुनिसुव्रतपुराण 48 संतोष, सुखदे, वधूदे ने लिखवाया 1326 पुराणसार संग्रह प्र. सं. 1824 हीरादे, तिलकादे, भावलदे, रूपलदे आदि ने लिखवाया खंडेलवाल गोत्र | आ. श्री क्षेमकीर्ति को प्रदान की 1327 प्र. सं. 56 | 1804 | मलूकदे, दोलतादे, आदि | गंगवाल गोत्र |पं. कृष्णदास को प्रदान | वर्द्धमान पुराण ने लिखवाया किया 1328 | 1848 | ठाकुरदास जी की पत्नी ललितप्रसाद की बेटी भट्टा राजेंद्रकीर्ति को | जै. सि. भ. ग्रं. भा. लखनऊ में 11 के. ऑफ सं. प्रा. आदिपुराण भेंट की अप. हिं. मेनु. परिषिष्ट. पृ. 1 1329 1839 | राम कुंवर खरगो भारिल्ल गोत्र जि. मू. प्र. ले. | 38 | भट्टा श्री जिनेंद्रभूषण (मूलसंघ) 1330 1893 | हरक जि. मू. प्र. ले. 1331 1872 | कुंवर, बसन्त कुंवर भारिल्लगोत्र .................... | जि. मू. प्र. ले. 1332 1865 | हस्ता पठनार्थ साधु वंदना गा. 88 जै. गु. क. भा. 2 1333 1869 | उमेदा पठनार्थ वैदर्भी चौपाई 182 जै. गु. क. भा. 4 | 329 कडी | 1334 | 1814 | राजूबाई पठनार्थ जै. गु. क. भा. 4 | 204 उमेदराम वेलजी द्वारा लिखित सीमंधर स्वामी विनतीरूप 350 गाथा का स्तवन 1335 1807 | लहेरीबाई पठनार्थ पं. विनीतविजय लिपिकृत सीमंधर स्वामी स्तवन | जै. गु. क. भा. 4 | 214 125 गाथा 11 ढाल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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