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जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास
क्र०
संवत् |
श्राविका नाम
वंश/गोत्र
संदर्भ ग्रंथ
प.
1257
1799 | वसुमती
जै. पि. सं. भा. 5 | 108
सोनागिरि दतिया मध्यप्रदेष का लेख है
प्रेरक/प्रतिष्ठापक प्रतिमा निर्माण |
गच्छ / आचार्य आदि भट्टारक राजेंद्र भूषण के | मंदिर नं. 4 एवं 5 के बंधु सुरेंद्रकीर्ति की बीच चौबीस तीर्थंकरों षिष्या थी
के चरणों का एक शिल्पांकित पट्ट है, उस पर वसुमति का नाम अंकित है
1725 | तड़नायक (हुंबड ज्ञाती)
पं. चं. अ. ग्रं.
482
भट्टारक
भट्टारक सकलचंद्र से सकलकीर्ति | दीक्षित बाई हीरो से लिखित वर्द्धमान | लिखवाया पुराण
भट्टारक सकलचंद्र | को वर्द्धमान पुराण लिखवाकर अर्पित किया
1259
| 1732 | राजलदेवी
सोम की पत्नी
| 43
चौमुखा आदिनाथ जी | प्रा. लै. स्मारक का मंदिर बनवाया
234
| 1260 1261
1723 | प्रेमबाई पठनार्थ 1727 | कल्याण बाई पठनार्थ
नवतत्वस्तबकः श्री. प्र. सं. |श्री नवस्मरणस्तबक | श्री. प्र. सं.
240
पं. नित्यविजयगणि ने लिखवाया साध्वी माणिक्य की प्रेरणा से
| 1262
उपदेशमाला स्तबक
श्री. प्र. सं.
287
1263
1771 | अगरबाइ ने स्वपठनार्थ
लिखवाया 11714 | कनकादेवी पठनार्थ लिखा
मान विजय ने 1703 | पदमाई
श्री चतुःशरण स्तबक | श्री. प्र. सं.
223
दया विजयगणि को प्रदान की थी
1264
बाहुबली प्रतिमा
भ. सं.
282
बघेरवाल. ज्ञा. सावला. गोत्र
1265
1760जीवनदे
रपरिया गोत्र
भ. सं.
129
सम्यज्ञान यंत्र षोड्श कारण यंत्र
12661766 | सुधी
बुढेले ज्ञा. रावत
| भ. सं.
129
गोत्र
1267
1772 | देवजावी
ब्रह्मजगतसिंह गुरू
सम्यग्दर्शन यंत्र
भ. सं.
129
1268
1783 | रायवदे
बुढेले ज्ञा. ककौआ गोत्र खंडेलवाल | लुहाड्या गोत्र बघेरवाल
प्रतिमा
भ. सं.
106
1269
1793
| नावाई
| धर्मचंद्रना
पद्मावती प्रतिमा
भ. सं.
179
1270
1797 | हीरादे
विलाला गोत्र | पं. गोवर्द्धनदास लिखित | षट्कर्मोपदेशरत्नमाला | भ. सं.
1271
1713 | दया
| भट्टा सकलकीर्ति
।
सिद्ध गोत्र सिंधई वंष
जि. मु. प्र. ले. जि. मु. प्र. ले.
1272
| 1744 | मथुरा, सोमा, हरि कुंवर
भसुरेंद्रकीर्ति (मूलसंघ)
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