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सोलहवीं से 20वीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ
क्र०
संवत्
श्राविका नाम
वंश/ गोत्र
संदर्भ ग्रंथ
प्रेरक/प्रतिष्ठापक | प्रतिमा निर्माण | गच्छ / आचार्य
आदि
1241
| दुर्गादेवी ने रचना की
साठी संवत्सर फल.
बी. एल. आइ. आइ. (ज. ग्र. भ) परि. सं. 5896
1242
अध्यात्मरामायण भाषा | रा. ह. ग्र.सू. भा. | 4
1784 सिरेकंवर बाई द्वारा
लिखित 1778 | केसर पठनार्थ
1243
मानतुंग मानवती
रा. ह. न. सू. भा.
| 128.
पं. राजविजयवर द्वारा लिखित
चौपाई
129
1244
| 1738 / बीबी राजकुंयरि पठनार्थ
|श्रावकातिचार
दर्षनविजयगणि द्वारा लिखित
बी. एल. आइ. आइ. (ज. ग्र. भ परि. सं. 1982
12451731 | हरबाई पठनार्थ
जै. गु. क. भा. 3
| 75
आदिश्वर विवाहलो 69 कडी
1246
1746 | वीरां पठनार्थ
जै. गु. क. भा. 3
| 108
बीस विहरमान जिनगीत
1247
विजयशेखर लिखित
चौबीसी
जै. गु. क. भा. 3
109
1749 | वीरांबाई पठनार्थ 1752 | घोलीबाई पठनार्थ
1248
दंडक स्तबक रचना
जै. गु. क. भा. 4
|
380
1249
1727 | कल्याणबाई
नवस्मरण स्तबक
जै. गु. क. भा.5
|
378
साध्वी माणिक्य श्री की प्रेरणा से श्री देवविजय गणि लिखित
1250
1780 मोटी की पठनार्थ
जै. गु. क. भा. 5
एकादशांग स्थिरीकरण
1251
1738| वीरबाई पठनार्थ
1252
1727 | नागबाई पठनार्थ
धीरविजय लिखित
जै. गु. क. भा. 5 | 3800 चौबीसी, प्रथम की 7 | जै. गु. क. भा. 4 | 371 कडी
1253
1770|ञमां पठनार्थ
पं. देवचंद्र लिखित
जै. गु. क. भा. 4
68
24 जिन गीत रास चौबीसी
1254
118वीं वेला पठनार्थ
जै. गु. क. भा. 4 | 221
पती
1255
1741 कुसुबां पठनार्थ
जै. गु. क. भा.4
अवंतीसुकुमाल स्वाध्याय 13 ढाल 102 कडी
125A
1759| झमकू पठनार्थ
वयरस्वामी ढालबंध | जै. गु. क. भा. 4 | 132,
सज्झाय 15 ढाल
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