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जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास
क्र०
1229
1230
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1233
1234
1235
1236
1237
1238
1239
1240
संवत्
1760
1766 सुधी, पुना, देव, उदोती,
धरती, लक्ष्मी रत्नावती
ओसुम, दवकुवंरि, उदोता
1766 लुधी
तिलका
1772 देवजान्ही, लाला कुंवरि
1791
श्राविका नाम
1772 | देवजावी, जावती संबेधी, सुमित्रा, घोका, भवानी,
जयकुवरि, लालकुवरि
1783 रायवदे, ल्होडी, गूर्जरि
दारा
1797 हीरादे, सावलदे, नैणादे
1764
1776 देवी मणि
1715 जसोदा पठनार्थ
रूपाई पठनार्थ
18वी अमराई द्वारा लिपिकृत
ती
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वंश / गोत्र
लंबकचुकान्वये
रपरिया गोत्र
यदुवंश
लंबक चुकान्वये
बुढेले ज्ञा. रावत
गोत्र
चुकव
बुढेले ज्ञा. रावत
गोत्र
लंबकंचुकान्वये
बुढेल ज्ञा.
कर्कोआ गोत्र
लंबकंचुकान्वये
| बुढेल ज्ञा.
कर्कोआ गोत्र
खंडेवाल,
लुहाड्या गोत्र
गृमगोत्र बुढेल
ज्ञा.
चामराज
वोडेयर मैसूर
की रानी
प्रेरक / प्रतिष्ठापक
गच्छ / आचार्य
मूलसंघ सुरेंद्र भूषणदेव
की परंपरा के हैं
पूलसंघ के श्री सुरेंद्रभूषण की परंपरा के
हैं
मूलसंघ के भट्टा ब्रह्मजगतसिंह
मूलसंघ सरस्वती देवेंद्रकीर्ति की पंरपरा के
है
मूलसंघ के भट्टा श्री महेंद्रकीर्ति देव (महेंद्र)
गुणदेवसूरि
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प्रतिमा निर्माण
आदि
दशलाक्षणिक यंत्र
षोडशकारण यंत्र
सम्यक्दर्शन यंत्र
प्रतिमा
लिखवाया)
दीपस्तंभ
श्रावकातिचार
श्रीपाल रास सचित्र
संदर्भ ग्रंथ
चौबीस तीर्थकर स्तुति
जै. सि. भा. 1935
जै. सि. भा. 1935
जै. सि. भा. 1935
जै. सि. भा. 1935
षट्कर्मोपदेशरत्नमाला जै. सि. भा. 1940
(पं. गोवर्द्धरदास द्वारा
जै. सि. भा. 1935
जै. सि. भा. 1940
जै. सि. भा. 1936
जै. षि. सं. भा. 4
रा. हि. ह. ग्रं. सू.
भा.3
रा. हि. ह. ग्रं. सू.
भा.6
पृ.
21
18
31
31
19
13
31
617
83
349
राज. हि. ह. ग्रं.सू.भा.8 62
63
302
206.
207
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