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सोलहवीं से 20वीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ
क्र०
संवत्
श्राविका नाम
वंश/गोत्र
आदि
प्रेरक/प्रतिष्ठापक | प्रतिमा निर्माण । संदर्भ ग्रंथ
गच्छ / आचार्य देवेंद्रकीर्ति की प्रेरणा से | आदिपुराण की प्रति | जैनि. इन. राज. | 82
1605 में भेंट की थी | 1963
1145
1607 | निकाडे
1146
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आदि पुराण
प्र. सं.
1662 | चाउ, भाउ, दीपो, चंदणी,
सोभी, आदिने लिखवाया.
1147
प्र. सं.
भट्टा. श्री देवेंद्रकीर्ति को | आदि पुराण प्रदान किया
1148
प्रदान किया था
आदि पुराण
प्र. सं.
1664 महिमादे, नायकदे, आदि खंडेलवाल
ने अष्टान्हिका व्रत
उद्यापनार्थ 1662 | भीवणि, केलू, धर्मिणी खंडेलवाल आदि ने
नायकगोत्र जौणादे, गौरादे, आदि ने | खंडेलवाल पल्यव्रत उद्यापनार्थ चांदवाड़ गोत्र लिखवाया
भट्टा देवेंद्रकीर्ति ने लिखा | हरिवंशपुराण
प्र. सं.
1150
हरिवंशपुराण
1616 | हेमी, खेमी आदि ने षोडष
कारणव्रत उद्यापनार्थ लिखवाया
खंडेलवाल श्री ललितकीर्ति द्वारा सोगाणी गोत्र | लिखित
1151
1668
वर्द्धमानपुराण
प्र.
स.
जोमादे, बाई श्री हीरा ने | लिखवाया
वजीयाणगोत्र
1152
1675| केसरदे पठनार्थ
श्री कयवाकुमार का | श्री. प्र. सं.
184
हुबंड ज्ञा. म. जगत्कीर्तिमुनि ने । वजीयाणगोत्र | लिखा
रास
1153
अग्रोत
बाई माथुरी के लिए
गांकलेखा
प्र. सं.
156
1700 | सरोज, धनी, जीवणी,
जसो.
बनाया
| श्री पद्मनंदि
150
11541688 | लकु 1155 | 1639 | नानी
हुबड ज्ञा. हुंबड़ ज्ञा.
भ. श्री रत्नचंद्र
श्री शांतिनाथ प्रतिमा | भ. सं. श्री मल्लिनाथ मंदिर | भ. सं. का प्रतिष्ठा महोत्सव
164
1156
चौबीसी प्रतिमा
भ. सं.
1157
सम्यक् चरित्र यंत्र
भ. सं.
127
1158
1607 | सेमाई,
हुंबड ज्ञा. धर्मचंद्र 1688| प्यारो
खरौआ. ज्ञा. | श्री जगदभूषण देव
कुलहागोत्र 1688 | मैना
खेमिज गोत्र भ. श्री जगद्भूषण देव 16437 सोनाबाई, राजाई, गोमाई, | बघेरवाल जाति | भ. देवेंद्रकीर्ति सहित
राधाई, मन्नाई सहित 1682 | दमा, केसरि, सुभा
धर्मकीर्ति
भ. सं.
127
श्रेयांस प्रतिमा यात्रा की थी
1159
भ. सं.
1160
षोडशकारण यंत्र
भ. सं.
204
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