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जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास
संवत्
श्राविका नाम
वंश/गोत्र | प्रेरक/प्रतिष्ठापक
-
संदर्भ ग्रंथ
.
| प्रतिमा निर्माण
आदि
गच्छ / आचार्य वर्धमान रेत्र
ब्रह्मसोमा ने लिखा
प्र. सं.
169
1065 1 1627 | चउसिरि, लाछि, लाडी । खंडेलवाल आदि ने
पांडया गोत्र 10661612 करमा, चंद्रा, मेला,
खंडेलवाल सरूपदे, आदि ने पंचमी सावडागोत्र व्रत उद्यापनार्थ
| नागकुमार चरित्र
समवायंग सूत्र
मंडलाचार्य
प्र. सं. ललितकीर्ति को प्रदान किया पं. लब्धिकुशल आदि | श्री. प्र. सं. मुनियों को दी संयमरत्नसूरि की श्री. प्र. सं. प्रेरणा से
10671607 | मरधी पुत्र सहित
लिखवाकर
106
1068
1615| अहंकारदे, धनादे
भगवती सूत्र
1069 | 1629 | भानां ने लिखवाया
रायप्पणियसूत्र
श्री. प्र. सं.
साध्वी सहिज श्री पठनार्थ.
।
चौधरी गोत्र
पार्श्वनाथ चरित्र
श्री. प्र. सं.
128
1070 | 1611 | भावलदे, सैणा, हरषमदे
आदि ने षोडषव्रत उद्यापनार्थ
धर्मचंद्र को प्रदान किया
मीतमगोत्र
| पद्म पुराण
10711'56 | सुहागो, मानी, भामिणी,
सुंदरी आदि
बाई जिंदो को प्रदानश्री . प्र. सं. किया
गोलछागोत्र
धन्नाऋषि सांधे
हि. ह. ग्रं. सू. भा.
5
368
10721660 गउरादे, कउति दे,
| पउमदे पठनार्थ
1073104 राधमति
1074|1678 लोगसिरि, लालमति
69
भट्टा. श्री पद्मकीर्ति भ. श्री पार्श्वनाथ जी | जि. मू. प्र. ले. (मूलमंध) भट्टा. श्री चंद्रकीर्ति तांबागोल
जि. मू. प्र. ले. (मूलमंघ) भट्टा. श्री
तांबा चौकोर जि. मू. प्र. ले. जगभूषण(मूलमंघ) भट्टा. पद्मकीर्ति श्री मेरू (बीस | जि. मू. प्र. ले. (मूलमंघ)
तीर्थकर)
1075
1689
सहि.
10761694 भानमरि, चंपा, हीरामति
53
चाता,
अग्रवाल ज्ञा.
पद्मप्रभु
जै. सि. भा. 1947
130
10771670 रंगदे, कमला, कयीती,
राईमती
मूलसंघ भट्टारक श्री शमकीर्तिगुरू मूलसंघ, भट्टा. श्री | विशाल कीर्ति की परंपरा
1078
1675 | उधा
सिद्धयंत्र
जै. सि. भा. 1935
| 17
खंडेलवाल सिंधिया गोत्र
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