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सोलहवीं से 20वीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ
क्र०
संवत्
श्राविका नाम .
वंश/गोत्र
संदर्भ ग्रंथ
पृ.
आदि
प्रेरक/प्रतिष्ठापक प्रतिमा निर्माण
गच्छ / आचार्य पं. रत्नसुंदर गणि ने भेंट | श्री योगशास्त्रम् में प्रदान की संयमरत्नसूरि (आगम.) | श्री भगवतीसूत्र
श्री. प्र. सं.
104971656 | हीरादे पुत्री चंद्रावती
पडनार्थ 1050 1615 | नाकू, कीकाइ, अहंकारदे,
158
श्री. प्र. सं.
111
धनादे
श्री. प्र. सं.
श्री. प्र. सं.
10511615 खदकू नाकू, वीराइ, प्रा. ज्ञा. संयमरत्नसूरि (आगम.) | श्री भगवतीसूत्र
पूराइ, धनादे आदि ने
लिखवाया 1052 1623 | सोना, जैसिरि, खेतलदे अजमेरा गोत्र | आर्चिका श्री मुक्ति को | उपासकाध्ययन,
सरदे आदि ने लिखवाया खंडेलवाल प्रदान की 10531612, पीला, पाटमदे, नोलादे, । खंडेलवाल आर्य नरसिंह को प्रदान | उपासकाध्ययन
उदी, सिंगारदे आदि ने अजमेरा गोत्र किया कल्याणकव्रत उद्यापनार्थ
| प्र. सं.
94
1054
1691 | हीराबाई पठनार्थ
ऋषि जै.गु. क. भा. 1 | 320
गजसुकुमाल रास. 17 ढाल
10551613 | मानिक श्री लिखित
श्रेणिक रास.
| जै. गु. क. भा. 1 | 123
जै. गु. स. भा. 1
10561628 | रत्नाई पठनार्थ
124
| पं. विनयचारित्र मुनि | यशोधर लिखित. (तपागच्छ)
10571628 | लीलाई पठनार्थ
रिषि देवीदास लिखित | सनत्कुमार रास.
जै. गु. क. भा. 2
| 45
46
1058 | 1633 | गेली पठनार्थ
जै. गु. क. भा. 2 |
162
कडी
10591692 | कोडिमदेइ ने बोहराई
202
जिनचंद्रसरि ने भेंट की| बारव्रतनो रास. 94 (खरतर) चंद्रकीर्तिगणि ने लिखा । | श्री दंडकस्तव
श्री षोभन स्तुति. कनकसोममुनि द्वारा श्री आवष्यक
बालावबोध
श्री. प्र. सं. श्री. प्र. सं.
1060
1694 | कांहांनबाई. पठनार्थ
206
1061 | 1608| जमनादे
श्री. प्र. सं.
106
1062
193
1667 | जीवी, अजाई ने
लिखवाया
रिषभदास को अर्पित | श्री तंदुलवैकालिक | श्री. प्र. सं. किया जोसी गंगदास ने लिखा | श्री गुणावलि रचना | श्री. प्र. सं.
1063
1690
| जसोदा पठनार्थ
200
1064
1660
वरांगचरित
प्र. सं.
55
देवलदे, हर्षमदे, धारादे आदि ने लिखवाया
खंडेलवाल | कासली. गोत्र
जाजणवर व्रत उद्यापनार्थ शुभचंद्र को प्रदान किया
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