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________________ जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास 605 क्र० संवत् श्राविका नाम वंश/गोत्र 1029 | अष. गोत्र 1722 | चामी, रूकमा मन्नी हरिकवरी राजबाई आदि प्रेरक/प्रतिष्ठापक | प्रतिमा निर्माण | संदर्भ ग्रंथ - पृ. गच्छ / आचार्य आदि यंत्र कारितं नया मंदिर चांदनी चौक धरमपुरा, दिल्ली सुकुमाल चरित्र ख. जै. स. बृ. इ. | 103 तपा. श्री ज्ञानविमलसूरि | भ. श्री संभवनाथ जी | प्र. जै. ले. सं. 206, 1030 1756 | भीवसादे 1031 | 1757 | मानी श्री श्री ज्ञा. 18 1032 | 18वीं | नंदादे | ख. जै. स. बृ. इ. | 206 दीवान नंदलाल | पंच कल्याणक गोथा की पत्नी सदी 1826 1033 | 1883 | कवियित्री चंपाबाई टोंग्या गोत्र चंपा षतक ही रचना की | ख. जै. स. बृ. इ. | 129 थी 1034 | 1897 | तेजकरण नागरवणिक 1035 1899 | इच्छाकोर पं. भाणचंद धर्मशाला का निर्माण | म.जै. वि. सु.म. ग्र. | 93 मंदिर के पास पद्मावती मूर्ति भ. सं. 191 श्री श्रीमाल सज्झाय | जैनि. इ. काव्य 156 संग्रह 1036 19वीं | सरूपा बाई भाती 1037 | 1967 | बडी बाई भ. श्री चंद्रप्रभु जी म. दि. जै. ती. 292 293 1038 | 1507 | माल्लू | प्रा. ज्ञा. | भ. श्री संभवनाथ जी म. दि. जै. ती. षेखर सूरि कुंदकुंदाचार्य 1039 | 1509 | उनी, सुतोषता, गोमति | भ. श्री अजितनाथ | म. दि. जै. ती. जी वीरवंषी प्रा.ज्ञा. 1040 | 1513 | काऊ, चादरी 1041 1513 | तिलीतयो 1042 | 1529 | टीबू, पूरी लाढी 1043 1536 | कामलदे चली नामला प्रा. ज्ञा. 30 श्री. ज्ञा. भ. श्री शीतलनाथ जी | म. दि. जै. ती. | भ. श्री आदिनाथ जी | म. दि. जै. ती. भ. श्री कुंथुनाथ जी म. दि. जै. ती. | भ. श्री कुंथुनाथ जी म. दि. जै. ती. भ. श्री शीतलनाथ जी म. दि. जै. ती. भ. श्री मुनिसुव्रत जी म. दि. जे. ती. | सुमतिनाथ म. दि. जै. ती. कुंथुनाथ म. दि. जै. ती. 1044 | 1542 | लीलादे जालू आत्म श्रेयार्थ लक्ष्मीसागरसूरि तपा. बुद्धिसागर सूरि । भावदेवसूरि गुणचंद्रसूरि लक्ष्मीसागरसूरि जिनहर्षसूरि प्रा. ज्ञा. 1045 1559 | अमरी पाती प्रा. ज्ञा. 1046 11532 | बाड पाणी ................... 1047 | 1580 | तारू कील्ह लीलादे » उपकेष ज्ञा. बद्रमान गोत्र | प्रा. ज्ञा. 1048 1616 | मानी श्रेयार्थ संयमरत्नसूरि (आगम.) | श्री विपाकसूत्रांग त्ति | श्री. प्र. सं. 112 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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