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________________ 604 सोलहवीं से 20वीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ क्र० संवत् श्राविका नाम वंश/गोत्र संदर्भ ग्रंथ प्रेरक/प्रतिष्ठापक गच्छ / आचार्य प्रतिमा निर्माण | आदि 1013 | मंगराज तृतीय 6 कृतियां ख. पट्टा. सं. 485 16वीं | देविले षती 1014 हरिचंद्र अणत्थिमिय कहा ख. पट्टा. सं. 431 15वीं | वील्हादेवी षती 1015 16वीं | चम्पादेवी हुंबड जाति रत्नचंद्र सुभौम चक्रवर्ती चरित्र | ख. पट्टा. सं. 542 षती 1016 16वीं | गुमटाम्बा वत्स गोत्र नागचंद्रसूरि ख. पट्टा. सं. विषापहार टीका आदि भाग पती 1017 | 17वींचंपादेवी भट्टा. रत्नचंद्र ख. पट्टा. सं. 542 सुभौम चक्रवर्ती चरित्र (सात सर्ग) षती 1018 17वीं | मानिनी धर्मदेव शांति विधि ख. पट्टा. सं. षती 1019 ख. पट्टा. सं. 40 1वीं | वीणादेवी षती अष्टमजिन पुराण संग्रह की रचना पं. जिनदास होली रेणुका चरित्र पांडव पुराण भेंट की थी | आ. हेमचंद्र को ख. पट्टा. सं. 33 ख. जै. स. बृ. इ. 109 17वीं | रिषभ श्री 1021 | 1636 | लाडमदे, हरदमदेने षोडषकारण व्रत उद्यापनार्थ 1022 1637 | स्वरूपदे गोधा गोत्र 126 पंचास्तिकाय प्राभृत पं. विजयसेनसूरि द्वारा ख. जै. स. बृ. इ. ऐ. जे. सं. 1023 1653/पांची 165 हीरविजसूरि की प्रतिमा 1024 1660 ठाकुरी, रूकमी 10251667 | अमोलिकदे, लखमादे, लाछलदे बैनाडा गोलीय धातु मूर्ति ओ. फसला श्री जिनचंद्रसूरि ख. जै. स. बृ. इ. | भ. श्री पार्श्वनाथ जी | युग. प्र. श्री. जि. 136 | 250 गोत्र 1026 | 1682 | चांपा पठनार्थ बारह व्रत जोड़ी ऐ. ले. सं. 341 1027 1690 तेजश्री पं. कीर्ति विमलगणि सहस्त्रकूट चैत्यालय का निर्माण ख. जै. स. बृ. इ. 1028 17वीं | लाधाजी भ. श्री पार्श्वनाथ जी | प्र. जै. ले. सं. 226 सदी 1708 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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