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सोलहवीं से 20वीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ
क्र०
संवत्
श्राविका नाम
वंश/गोत्र
संदर्भ ग्रंथ
प्रेरक/प्रतिष्ठापक गच्छ / आचार्य
प्रतिमा निर्माण |
आदि
1013
| मंगराज तृतीय
6 कृतियां
ख. पट्टा. सं.
485
16वीं | देविले षती
1014
हरिचंद्र
अणत्थिमिय कहा
ख. पट्टा. सं.
431
15वीं | वील्हादेवी षती
1015
16वीं | चम्पादेवी
हुंबड जाति
रत्नचंद्र
सुभौम चक्रवर्ती चरित्र | ख. पट्टा. सं.
542
षती
1016
16वीं | गुमटाम्बा
वत्स गोत्र
नागचंद्रसूरि
ख. पट्टा. सं.
विषापहार टीका आदि भाग
पती
1017
| 17वींचंपादेवी
भट्टा. रत्नचंद्र
ख. पट्टा. सं.
542
सुभौम चक्रवर्ती चरित्र (सात सर्ग)
षती
1018
17वीं | मानिनी
धर्मदेव
शांति विधि
ख. पट्टा. सं.
षती
1019
ख. पट्टा. सं.
40
1वीं | वीणादेवी षती
अष्टमजिन पुराण
संग्रह की रचना पं. जिनदास
होली रेणुका चरित्र पांडव पुराण भेंट की थी | आ. हेमचंद्र को
ख. पट्टा. सं.
33
ख. जै. स. बृ. इ.
109
17वीं | रिषभ श्री 1021 | 1636 | लाडमदे, हरदमदेने
षोडषकारण व्रत उद्यापनार्थ
1022
1637 | स्वरूपदे
गोधा गोत्र
126
पंचास्तिकाय प्राभृत पं. विजयसेनसूरि द्वारा
ख. जै. स. बृ. इ. ऐ. जे. सं.
1023
1653/पांची
165
हीरविजसूरि की प्रतिमा
1024 1660 ठाकुरी, रूकमी 10251667 | अमोलिकदे, लखमादे,
लाछलदे
बैनाडा गोलीय धातु मूर्ति ओ. फसला श्री जिनचंद्रसूरि
ख. जै. स. बृ. इ. | भ. श्री पार्श्वनाथ जी | युग. प्र. श्री. जि.
136 | 250
गोत्र
1026 | 1682 | चांपा पठनार्थ
बारह व्रत जोड़ी
ऐ. ले. सं.
341
1027
1690 तेजश्री
पं. कीर्ति विमलगणि सहस्त्रकूट चैत्यालय का निर्माण
ख. जै. स. बृ. इ.
1028
17वीं | लाधाजी
भ. श्री पार्श्वनाथ जी | प्र. जै. ले. सं.
226
सदी
1708
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