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जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास
संवत् । श्राविका नाम
वंश/गोत्र
प्रेरक/प्रतिष्ठापक गच्छ/आचार्य
- प्रतिमा निर्माण
आदि
संदर्भ ग्रंथ
उद्यापनार्थ
2406
| 1631
वर्धमान चरित्र
प्र. सं.
170
| रानादे, लाली, हीरादे,
आदि
दषकलाक्षणिक व्रत निमित मुनि को भेंट
किया
2407
|1665
| भट्टा.देवेंद्रकीर्ति को प्रदान किया
भक्तामर स्तोत्र
प्र. सं.
वृत्ति
सिंगारदे नारंगदे | खंडेलवाल सौगणी लाडमदे त्रिभुवनदे गोत्र सिंगारदे पाढ़मदे, नुनसिरि, खंडेलवाल गोधा सरूपदे लहुडी, आदि | गोत्र
2408
1637
| योग्य पात्र को प्रदान किया
| प्र. सं.
132
| पंचास्ति कायप्राभृत ग्रंथ लिखवाया
2409
1884
नानी पठनार्थ
जीवाऋषि ने बनवाया
प्र. सं.
195
2410 11656
जीवविचार प्रकरणम् श्री आचार दिनकर धर्मपरीक्षा
प्र. सं.
157
2411
1666
प्र. सं.
19.21
2412
| 1630
यषोधर चरित्र
|प्र. सं.
24131632
सुदर्षन चरित्र
प्र. सं.
190
| रेखश्री अमृतदे,
कल्याणोधि सूरि को सुवर्णश्री
प्रदान किया कवलादे, तिलकादे, गंगवाल गोत्र मुनिगुणचंद्र को प्रदान तिहुसिरि बेगमदे
किया दूलहदे, लखणा, खंडलवाल ब्रह्मरायमल को प्रदान ईसरदे साहिबदे | पाटनीगोत्र किया राजी देउ बोखी । खंडेलवाल हेमचंद्र द्वारा रचित | हीरादे लाडमदे आदि ने लिखवाया चौसरदे दुर्गादे खंडेलवाल
आचार्य भाभुचंद्र को भावलदे हर्षा आदि ने
प्रदान किया लिखवाया भीला गूजरि खंडेलवाल, अजमेरा | ललितकीर्ति ने लिखा सोभागदे मुक्तादे गोत्र आदि ने लिखवाया । जयमापठनार्थ | हुंडीया गोत्र | भुवनसोम रचित
2414 | 1661
यषोधर चरित्र
प्र. सं.
50.51
2415
|1610
यषोधर चरित्र
प्र. सं.
163
2416
| 1654
| जै.गु.क.भा 1
उत्तराध्ययन गीतो 36 बारह व्रत की सज्झाय (68कडी)
2417 | 1660 | मेलाई पठनार्थ ।
तपा विनयचंद्र
| जै.गु.क.भा
2
389
2418
1855
जीउ श्रेयार्थ
खरतर गुणविनयवाचक
बार व्रत जोड़ी | जै.गु.क.भा 2
215
2419 | 1638 | रामबाई पठनार्थ
अमृतविजयलिखित
शत्रुजयरचना
| वही.
2420
| 1636 | सुखां पठनार्थ
मुनिमालिका
| वही.
158. 159
2421 | 1697 | रतनबाई पठनार्थ
77.78
पं. भावहर्ष लिखित नेमि राजुल बार | वही.
मास बेल प्रबंध
(77 कडी) पं जीवंरगगणि लिखित | साधु वंदना वही.
2422
1882 | मृगाश्री पठनार्थ
गा.88
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