________________
सोलहवीं से 20वीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ
क्र०
संवत् | श्राविका नाम
वंश/गोत्र
|
पृ.
प्रेरक/प्रतिष्ठापक | प्रतिमा निर्माण | संदर्भ ग्रंथ गच्छ/आचार्य
आदि आत्म श्रेयार्थ
भ. श्री
म.दि.जै.ती.र्थ.उ शीतलनाथ जी
वीर वंशी
2389 | 1513 | काऊ, चादरी,
तिलीतयो
.2390 | 1513 | तिलीतयो
प्रा. ज्ञा.
आत्म श्रेयार्थ
भ. श्री आदिनाथ म.दि.जै.ती.ई.उ
23011529
टीबू, पूरी, लाढी
प्रा. ज्ञा.
| लक्ष्मीसागरसूरि तपा
भ. श्री कुंथुनाथ
म.दि.जै.ती.ई.उ
| 30
श्री. ज्ञा.
| बुद्धिसागर सूरि
2392 | 1536 | कामलदे, चली,
नामला 2393 | 1542 | लीलादे, जालू
कुंथुनाथ पंचतीर्थी
| म.दि.जै.ती.ई.उ
प्रा. ज्ञा.
भावदेवसूरि
भ. श्री शीतलनाथ जी
म.दि.जै.ती.र्थ.उ
29
2394
| 1559 | अमरी पाती
प्रा. ज्ञा.
गुणचंद्रसूरि
भ. श्री मुनिसुव्रत | म.दि.जै.ती.ई.उ
39
2395
1532 | बाई षाणी
लक्ष्मीसागरसूरि
भ. श्री
| म.दि.जै.ती.ई.उ
सुमतिनाथ जी
2396
1580 | तारू कील्ह लीलादे
भ. श्री कुंथुनाथ | म.दि.जै.ती.र्थ.उ
उपकेष ज्ञा बद्रमान | जिनहर्शसूरि गोत्र अग्रोत, गर्ग गोत्र जयमित्र लिखित
जी
2397
1600
वर्धमान काव्य | प्र.सं.
186
राणी भोभा, भागो कपूरी आदि ने स्वपठनार्थ लिखा
162
2398 | 1548 वानू, कीकी, ललतू प्रा. ज्ञा.
धर्महंस गुरु
श्री शांतिजिन |प्र. सं. अरधू वानू
चरित्र लिखवाया 2399 1612 मदना, स्वरूपदे खंडेलवाल छाबड़ा श्री ललिकीर्ति को प्रदान यषोधर चरित्र | प्र. सं. सुहागदे वाली, व्रत गोत्र
|किया उद्यापनार्थ 2400 1603 होडी नेमी लाडी खंडेलवाल
चंद्रप्रभ
प्र. सं. रोडी गुजरी आदि ने
लिखवाया 2401 11636 फूलमदे लूणांदे खंडेलवाल, पहाड्यो बाई श्री करमाई ने धनकुमार चरित्र | प्र सं.
लिखा
लिखवाया 2402 1700 सरोज जसो रेवती ने | अग्रोत, गर्गगोत्र
मृगांकलेखा प्र.सं. दसलाखिणी व्रत
चरित्र उद्यापनार्थ 2403 | 1632 | बांहू, टिबू नेमी आदि
श्रीपाल चरित्र प्र. सं.
108
गोत्र
179
2404 | 1631
श्रीपाल चरित्र
प्र. सं.
करणादे भावलदे मुक्तादे आदि असलदे केसरीदे आदि ने षोडषकारण
2405
| 1677
प्र. सं.
श्रीदेवेंद्रकीर्ति को प्रदान | सदर्षन चरित्र किया
लिखवाया
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org