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सोलहवीं से 20वीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ
क्र०
संवत् | श्राविका नाम
वंश/गोत्र
24231657 | बाई सोमा पठनार्थ
327
प्रेरक/प्रतिष्ठापक | प्रतिमा निर्माण संदर्भ ग्रंथ गच्छ/आचार्य
आदि उत्तराध्ययन 36 | जै.गु.क.भा. 1
अज्झाय खरतर श्रीवंत कडवा ऋषभदेवविवाहलु | वही
44ढाल धवलबंध जयसेन चौपाई | जै.गु.क.भा.
1
2424
1615
| वीरा पठनार्थ
312
2425 | 1642 | हरखी पठनार्थ
243
2426 | 1676 | पद्मा पठनार्थ
वही वही
259
रत्नसारकुमार चौपाई श्रावकविधि चौपाई
2427 | 1615 | लालां पठनार्थ
श्री श्री ज्ञा.
वही
309
2428 | 1677 | नयणादे .
आदीष्वर
राज.के.अभि.भा. 2
383
2429 | 1654 | कर्पूरादेवी
ओस ज्ञा. चोपडा |जिनराजसूरी गोत्र ओस ज्ञा. कावडिआ | भामाषाह के भाई पुत्र गोत्र
कपूरचंद पुण्यार्थ मुहणोतगोत्र जयमल की पत्नी
वापी का निर्माण | राज.के.अभि.भा. 2 | 356
2430 | 1683 | सरूपदे
पार्श्वनाथ
राज.के.अभि.भा. 2 | 393
24311638नांनी पठनार्थ
मुनियषसुंदर लिखित
राजय उद्धार रास
जै.गु.क.भा.2
2432
1655 | वछाई, हंसाई
जोसी रणछोड़ लिखित | महाबल रास
| जै.गु.क.भा.2
| 1108
24331659 | वीरो पठनार्थ
जै.गु.क.भा.2
314
2434 | 1686 | माना पठनार्थ
जै.गु.क.भा.2
314
2435
1662 | केसरी पठनार्थ
जै.गु.क.भा.2
314
पं कल्याणमुनि लिखित | सांबप्रद्युम्मन
प्रबंध | जोसी गंगदास लिखित | सांबप्रद्युम्मन
प्रबंध पं. सुमतिसोमगणि दान शील तप लिखित
भावना संवाद विनयवर्द्धनमुनि जिनसिंहसूरि
रास. कडी 65 देवाख्येन मुनिद्वारा अयुमुत्तारास 21 लिखित
ढाल 135 कडी जिनराजसूरि रास (ऐति.)
2436
1668 | चांपा पठनार्थ
| जै.गु.क.भा.2
387
| जै.गु.क.भा.2
2437 | 1683 बाई जीरापुत्री बाई
चोथी पठनार्थ 2438 | 1681 | धारां पठनार्थ
जै.गु.क.भा.2
214
2439 | 1644 | हर्षाई पुत्र लिखित
504
मंगलकलष रास | जै.गु.क.भा.2 पद.339
2440
1686 | मीरादे
कुहाड गोत्र
तपा. विजयसिंह सूरी
पार्श्वनाथ
रा. अ. भा. 2
402
मु. स. धा.नी.जै.सं.
189
2441 | 1644 | जसमाढे, वियलाढे
मथगलदे 2442 | 1686 | पूरां
पार्श्वनाथ, महावीर सुमतिनाथ
तपा. विजयसिंह सूरी
रा.अ.भा. 2
ओस. ज्ञा. सुराणा गोत्र
395
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