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जैन श्राविकाओं का बृहद इतिहास
क्र०
संवत् |
श्राविका नाम
वंश/गोत्र
होली, वीराणि, टोमा | खंडेलवाल रोहिणि आदि ने
अजमेरागोत्र यशोदेवी
2292
1524
प्रेरक/प्रतिष्ठापक । प्रतिमा निर्माण संदर्भ ग्रंथ गच्छ/आचार्य
आदि उत्तम पात्र को प्रदान वरांगचरित्र प्र.सं. किया
लिखवाया विमलनाथ चरित्र | प्र.सं. लिखवाया
शांतिनाथ चरित्र | प्र.सं.
लिखवाया रत्नहंसगणि
शांतिनाथ चरित्र प्र.सं. लिखवाया
1511
2293 1511 राजू, गोगा आदि ने
पंचमी उद्यापनार्थ 2294 | राजू, नांइ, लाठी प्रा.ज्ञा.
आदि ने पंचमी
उद्यापनार्थ 2295 | 1504 धांधलदे, चमकू
| प्रा.ज्ञा. स्वश्रेयार्थ 2296 |1582 | कल्हो, धारि, आदि ने | अग्रोत गर्ग गोत्र
149
जंयचंद्रसूरिको भेंट की | श्री पार्श्वनाथ प्र.सं.
चरित्र लिखवाया भविष्यदत्त शास्त्र | प्र.सं. एवं श्रुतपंचमी
ग्रंथ लिखवाया पं.सौभाग्यहर्ष सूरि के
प्र.सं. सान्निध्य में
उपदेशरत्नमाला प्रति.319 लिपिबद्ध की
2297
1585
इंद्राणि
2298 | 1525 | नेताई पठनार्थ
प्र.सं.
उपदेशरत्नकोश लिखवाया
2299
| 1563
टांकू सोमी, खीमी पठनार्थ
हेमविमलसूरि
प्र.सं.
2300
| 1592
ओ.ज्ञा.
रयणादे, सरूपां. नायकदे
श्री भावसुंदरसूरि
प्र.सं.
उपदेशरत्नमाला लिखवाया श्री अष्ट् कर्मग्रंथावचूरि लिखवाया श्री राजप्रश्नीय वृत्ति लिखवाया
2301
1597 | महिरी
ऊकेशवंश
पं.विनयराज मुनि
प्र.सं.
2302
| गुरूदे
तपा श्री सोमसुंदरसूरि
प्र.सं.
2303 | 1502
| नारू, वरसिणि साई
मुनिसुंदर
2304 | 1501
प्र.सं.
माजाटी, सोनाइ
आदि | लइतलदेवी
लावण्यशीलगणि को | प्रदान किया श्री रत्न शेखरसूरि
2305
1515
ऊ.वंश
चतुर्विशतिप्रबंध श्री हरि विक्रम प्र.सं. चरित्र लिखा नंदीसूत्र सुवर्ण अक्षर में लिखा
प्र.सं. पुष्पमालाप्रकरणम श्री पिंडनियुक्ति | प्र.सं. ग्रंथ लिखवाया गृहीधर्मरास.59 | जै.गु.क. भाग 1 कडी जंबूस्वामी रास | जै.गु.क. भाग 1
8 IN
2306
1551
मुनि महिसमुद्र गणि
| जसमाई, ललिता, वीराई दुगी
2307
| 1577
कवि जयमल्ल रचित
272273
2308 | 1541 | मणका पठनार्थ
101
101
2309
1526 | वाल्ही पठनार्थ
| जै.गु.क. भाग 1
| 132
अभयकुमार श्रेणिक रास
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