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________________ 490 सोलहवीं से 20वीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ संवत् श्राविका नाम वंश/गोत्र । प्र. 164 163 प्रेरक/प्रतिष्ठापक | प्रतिमा निर्माण संदर्भ ग्रंथ गच्छ/आचार्य आदि ब्रह्मवीड को प्रदान किया | यशोधर चरित्र | प्र.सं. लिखवाया श्री प्रभाचंद्र को प्रदान यशोधर चरित्र प्र.सं. किया लिखवाया मुनि धर्मचंद्र को प्रदान | पार्श्वनाथ चरित्र | प्र.सं. किया लिखवाया नागकुमार चरित्र प्र.सं. लिखवाया आर्यिका श्री विनय श्री | | प्रद्युम्न चरित्र प्र.सं. को प्रदान किया लिखवाया 22731580 | मीता,राणी,देवल,सूहो | खंडेलवाल आदि ने लिखवाया 2274 | 1575 सोना, लोचनदे, खंडेलवाल दूलहदे 2275 1577 लाडा सफलादे खंडेलवाल गुणसिरि पहाडयागोत्र 2276 | 1592 सुनखी ने पंचमी इक्ष्वाकु वंश उद्यापनार्थ भंडारीगोत्र 2277 1595 पीथी, लाडी खंडेलवाल अजमेरा पद्मसिरि ने दसलाक्षणिक व्रत उद्यापनार्थ 2278 | 1584 | तिपुरू, मदना, अमरी | ठोला गोत्र 131 113 138 गोत्र 147 2279 1598 | जीविणि पठनार्थ 312. 2280 | 1591 | सोमाई पठनार्थ 317 ब्र. रत्ना को प्रदान किया बाहुबली चरित्र प्र.सं. लिखवाया कडवा खरतर श्रीवंत ऋषभदेव प्र.सं. विवाहलु धवलबंध 44 ढाल लिखवाया षांतिजिन विवाह प्र.सं. प्रबंध कडवा खरतर श्रीवंत ऋषभदेव प्र.सं. विवाहलु धवलबंध 44 ढाल लिखवाया नागेंद्र गुणसमुद्रसूरि कुंथुनाथ प्रतिमा | प्र.सं. निर्माण 2281 1590 | देवकी पठनार्थ 312 2282 1512 | माणिकदे श्रीमाल ज्ञा. 66 2283 | 1522 | हीरा बाई पठनार्थ 66 तपा हेम-विमलसूरि वसुदेव चौपाई | प्र.सं. द्वारा रचित तपा हेमविमलसूरि रचित | वसुदेव चौपाई | जै.गु.क. भाग 1 | 131 67 22841589 | हंसाई पठनार्थ 2285 1595 | पटुबाई पठनार्थ 19 चिहुंगति चौपाई | जै.गु.क. भाग 1 लिखवायी वैराग्य विनति जै.गु.क. भाग 1 22861580 | सशमाई पठनार्थ 172 अमरडनगणि लिखित(तपागच्छ) सहजगणि लिखित 2287 | 1569 | रज्जाई पुत्री पठनार्थ श्री गुरूणी स्वाध्याय 14 जै.गु.क. भाग 1 251252 कडी स्थूलीभद्र जै.गु.क. भाग 1 169 2288 | 1580 | सुश्राविकाओं के पठनार्थ 2289 | 1596 | धारादे,मुक्तादे, हीरादे, पाटमदे 2290 | 1533 नैणसिरि, पुंसरी, तेजसिरि आदि ने कर्म क्षयार्थ सत्य श्री मुनि द्वारा रचित, अंचलगच्छ खंडेलवाल साहगोत्र | पं.श्री पदारक को पठनार्थ दिया | खंडेलवाल मुनिरत्नभूषण को भेंट जीवंधर चरित्र प्र.सं. लिखवाया धन्यकुमार चरित्र | प्र.सं. लिखवाया Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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