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जैन श्राविकाओं का बृहद इतिहास
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क्र०
संवत्
श्राविका नाम
वंश/गोत्र
प्रेरक/प्रतिष्ठापक | प्रतिमा निर्माण संदर्भ ग्रंथ गच्छ/आचार्य
आदि तपा श्री लक्ष्मीसागरसूरि भ. श्री विमलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
262
2253 1532 कमीदे, द्वीपदे,
रत्नदे 2254 | 1520 | प्रमी, लीलादे
जी
श्री. श्री. ज्ञा
| ब्रह्माण श्रीवीरसूरि
भ. श्री कुंथुनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
263
264
Maहम
80
32
2255 1581 लीलादे, वीझलदे श्री. श्री. ज्ञा | निगम प्रभावक श्री भ. श्री शांतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
आनन्दसूरि 2256 1504 | जांइ. आधी
पं. तिलकवीरगणि सिद्धहेम
प्र.सं. शब्दानुशासनम् (पंचाध्यायानि)
प्र.42 2257 1563 | रमाइ, टांक, सोमी.
मुनि विजयरत्न (तपा) उपदेशमाला प्र.सं. खीमी, पठनार्थ
प्र.249 2258 | 1571 | ककू, रही, जोशी प्रा. ज्ञा.
विवेकरत्नसूरि
श्री संदेहविषौषधी | प्र.सं. (आगमगच्छ)
पर्युषणा
कल्पटीका लिखी 2259 1501 | कर्मिणि
श्री कालिकाचार्य | प्र.सं.
कथा 2260 | 1528 | तिलकाइ, पूरी, श्री. ज्ञा.
श्री आवश्यक प्र.सं. निज श्रेयार्थ
नियुक्ति 2261 | 1586 | हंसाइ पठनार्थ
विवेकचारित्र गणि द्वारा श्री आराधना प्र.सं. लिखित
(बालावबोध) 2262 | 1570 भीमी, मटकू, सोमा,
उपाध्याय कमल-संयम ठाणांग वृत्ति प्र.सं. चांपलदे 2263 | 1597 ललितादे,रयणादे खंडेलवाल मुनि पद्मकीर्ति को सुदर्शन चरित्र प्र.सं. आदि ने लिखवाया
समर्पित किया 2264 1595 | केलू गौरी गंगा पूना | खंडेलवाल,पटनीगोत्र | ज्ञानपाल को प्रदान भविष्यदत्त चरित्र | प्र.सं. हीरा ने लिखवाया
किया
लिखवाया 2265 | पौसिरि, काल्हासिरि | खंडेलवाल,गोधागोत्र
भविष्यदत्त चरित्र प्र.सं.
लिखवाया 2266 |1583 | कवलदे, खणादे, | खंडेलवाल
चंद्रप्रभ चरित्र प्र.सं. भावलदे, धारादे
लिखवाया 2267 1581 कावलदे सीलवती खंडेलवाल,कासलीवा | ब्रह्मभोजा जोगी को करकण्डू चरित्र | प्र.सं. आदि ने लिखवाया ल गोत्र
प्रदान किया 2268 11577 | करमचंदही अग्रोत,गोइन्न गोत्र | साधु वाटु
अमरसेन वरित्र प्र.सं.
लिखवाया 2269 | 1579 | सोना,पद्मा,वाली | खंडेलवाल,टौंग्यागोत्र बाई पदमसिरि को प्रदान श्रीपाल चरित्र प्र.सं.
किया
लिखवाया 2270 1512 | रानी ने निज कर्म खंडेलवाल, सरस्वती | महासिरि को प्रदान श्रीपाल चरित्र प्र.सं. क्षयार्थ | गोत्र . किया
लिखवाया 2271 1584 | अमा हीरा ने
बाई मानिकी को प्रदान श्रीपाल चरित्र प्र.सं. कर्मक्षयार्थ
करने के लिए लिखवाया 2272 | 1577 | देवराजही धनराजही | गर्ग गोत्र
सुलोचना चरित्र | प्र.सं.
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