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________________ जैन श्राविकाओं का बृहद इतिहास 489 क्र० संवत् श्राविका नाम वंश/गोत्र प्रेरक/प्रतिष्ठापक | प्रतिमा निर्माण संदर्भ ग्रंथ गच्छ/आचार्य आदि तपा श्री लक्ष्मीसागरसूरि भ. श्री विमलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 262 2253 1532 कमीदे, द्वीपदे, रत्नदे 2254 | 1520 | प्रमी, लीलादे जी श्री. श्री. ज्ञा | ब्रह्माण श्रीवीरसूरि भ. श्री कुंथुनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 263 264 Maहम 80 32 2255 1581 लीलादे, वीझलदे श्री. श्री. ज्ञा | निगम प्रभावक श्री भ. श्री शांतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. आनन्दसूरि 2256 1504 | जांइ. आधी पं. तिलकवीरगणि सिद्धहेम प्र.सं. शब्दानुशासनम् (पंचाध्यायानि) प्र.42 2257 1563 | रमाइ, टांक, सोमी. मुनि विजयरत्न (तपा) उपदेशमाला प्र.सं. खीमी, पठनार्थ प्र.249 2258 | 1571 | ककू, रही, जोशी प्रा. ज्ञा. विवेकरत्नसूरि श्री संदेहविषौषधी | प्र.सं. (आगमगच्छ) पर्युषणा कल्पटीका लिखी 2259 1501 | कर्मिणि श्री कालिकाचार्य | प्र.सं. कथा 2260 | 1528 | तिलकाइ, पूरी, श्री. ज्ञा. श्री आवश्यक प्र.सं. निज श्रेयार्थ नियुक्ति 2261 | 1586 | हंसाइ पठनार्थ विवेकचारित्र गणि द्वारा श्री आराधना प्र.सं. लिखित (बालावबोध) 2262 | 1570 भीमी, मटकू, सोमा, उपाध्याय कमल-संयम ठाणांग वृत्ति प्र.सं. चांपलदे 2263 | 1597 ललितादे,रयणादे खंडेलवाल मुनि पद्मकीर्ति को सुदर्शन चरित्र प्र.सं. आदि ने लिखवाया समर्पित किया 2264 1595 | केलू गौरी गंगा पूना | खंडेलवाल,पटनीगोत्र | ज्ञानपाल को प्रदान भविष्यदत्त चरित्र | प्र.सं. हीरा ने लिखवाया किया लिखवाया 2265 | पौसिरि, काल्हासिरि | खंडेलवाल,गोधागोत्र भविष्यदत्त चरित्र प्र.सं. लिखवाया 2266 |1583 | कवलदे, खणादे, | खंडेलवाल चंद्रप्रभ चरित्र प्र.सं. भावलदे, धारादे लिखवाया 2267 1581 कावलदे सीलवती खंडेलवाल,कासलीवा | ब्रह्मभोजा जोगी को करकण्डू चरित्र | प्र.सं. आदि ने लिखवाया ल गोत्र प्रदान किया 2268 11577 | करमचंदही अग्रोत,गोइन्न गोत्र | साधु वाटु अमरसेन वरित्र प्र.सं. लिखवाया 2269 | 1579 | सोना,पद्मा,वाली | खंडेलवाल,टौंग्यागोत्र बाई पदमसिरि को प्रदान श्रीपाल चरित्र प्र.सं. किया लिखवाया 2270 1512 | रानी ने निज कर्म खंडेलवाल, सरस्वती | महासिरि को प्रदान श्रीपाल चरित्र प्र.सं. क्षयार्थ | गोत्र . किया लिखवाया 2271 1584 | अमा हीरा ने बाई मानिकी को प्रदान श्रीपाल चरित्र प्र.सं. कर्मक्षयार्थ करने के लिए लिखवाया 2272 | 1577 | देवराजही धनराजही | गर्ग गोत्र सुलोचना चरित्र | प्र.सं. 189 148 148 84-8 177 177 177178 192 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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