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________________ 488 सोलहवीं से 20वीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ संवत् । श्राविका नाम वंश/गोत्र 2231 | 1503 | लाडी, पालू ब्रह्माण. श्री श्री 241 प्रेरक/प्रतिष्ठापक प्रतिमा निर्माण संदर्भ ग्रंथ गच्छ/आचार्य आदि श्री पज्जूनसूरि भ. श्री वासुपूज्य | दि.जै.इ.इ.अ. जी पूर्णिमा विजयराजसूरि भ. श्री अजितनाथ| दि.जै.इ.इ.अ. जी तपा श्री लक्ष्मीसागरसूरि भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 2232 |1527 | हमीरदे श्री. श्री. ज्ञा 242 2233 | 1552 | वानू, वरजू, कामलदे 243 जी 2234 | 1537 | गोली, टबकू प्रा. ज्ञा पूर्णिमा श्री कमलप्रभसूरि | भ. श्री अजितनाथ| दि.जै.इ.इ.अ. 243 जी श्री. श्री. ज्ञा पूर्णिमा श्री कमलप्रभसूरि भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 245 2235 | 1533 | कर्मादे, माल्हणदे, देवकु | 1529 | भावलनदे, लाडीदे जी ब्रह्माण. श्री. ज्ञा श्री बुद्धिसागरसूरि 245 भ. श्री संभवनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी भ. श्री अजितनाथ दि.जै.इ.इ.अ. 2237 | 1532 | पाल्हणदे, अहिवदे श्री. श्री. ज्ञा श्री शांतिसूरि 255 जी 2238 | 1505 | हासूदे, नयनादे श्री. श्री. ज्ञा अंचल जयके सरसूरि | भ. श्री सुविधिनाथ दि.जै.इ.इ.अ. 255 2239 | 1503 | कामलदे, हफूंदे, देही | श्री. श्री. ज्ञा | तपा श्री रत्नषेखरसूरि | भ. श्री विमलनाथ दि.जै.इ.इ.अ. 256 जी A ओस. ज्ञा श्री सूरि भ. श्री धर्मनाथ जी दि.जै.इ.इ.अ. 256 2240 1515 | जसमा, देवश्री, कामलदे, सोही 22411515 | पोमी, लांबी प्रा. ज्ञा सिद्धान्त श्री सोमचंद्रसूरि भ. श्री चंद्रप्रभ जी| दि.जै.इ.इ.अ. 256 2242 | 1538 | भली श्री. श्री. ज्ञा चैत्र श्री अमरदेवसूरि भ. श्री चंद्रप्रभ जी| दि.जै.इ.इ.अ. 257 22431525 गुर्जर. ज्ञा तपा श्री लक्ष्मीसागरसूरि भ. श्री नमिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 257 2244 | 1533 | लाछू देसल श्री. श्री. ज्ञा नागेन्द्र श्री गुणदेवसूरि भ. श्री सुविधिनाथ दि.जै.इ.इ.अ. 258 2245 | 1545 | पुतली श्री. श्री. ज्ञा पूर्णिमा श्री देवसुन्दरसूरि भ. श्री नमिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 258 | जी 2246 11503 | माल्हणदे बृहद् श्री पार्षचन्द्रसूरि भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 258 जी 2247 | 1513 | देवली, संसार उप. ज्ञा बडगच्छ सर्वदेवसूरि | भ. श्री पद्मप्रभ | दि.जै.इ.इ.अ. 259 2248 | 1510 | मीनल श्री. श्री. ज्ञा पूर्णिमा श्री साधुरत्नसूरि भ. श्री चंद्रप्रभ जी| दि.जै.इ.इ.अ. 259 2249 | 1506 वाहनदे श्री. श्री. ज्ञा पिप्पल. श्री धर्मषेखरसूरि | भ. श्री चंद्रप्रभ जी दि.जै.इ.इ.अ. 260 2250 | 1512 | पूंजी, सूहवदे, नाई श्री. श्री. ज्ञा 261 थारापद्र श्री विजयसिंहसूरि मुनिचंद्रसूरि भ. श्री आदिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. चतु जी भ. श्री चंद्रप्रभ जी| दि.जै.इ.इ.अ. 2251 | 1568 | सलखणा ब्रह्माण. श्री. श्री. 262 2252 | 1518 |नामल, भावदे उप. ज्ञा 262 भावडार श्री भावदेवसूरि भ. श्री संभवनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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