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सोलहवीं से 20वीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ
संवत् ।
श्राविका नाम
वंश/गोत्र
2231 | 1503 | लाडी, पालू
ब्रह्माण. श्री श्री
241
प्रेरक/प्रतिष्ठापक प्रतिमा निर्माण संदर्भ ग्रंथ गच्छ/आचार्य
आदि श्री पज्जूनसूरि भ. श्री वासुपूज्य | दि.जै.इ.इ.अ.
जी पूर्णिमा विजयराजसूरि भ. श्री अजितनाथ| दि.जै.इ.इ.अ.
जी तपा श्री लक्ष्मीसागरसूरि भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
2232 |1527 | हमीरदे
श्री. श्री. ज्ञा
242
2233
| 1552 | वानू, वरजू, कामलदे
243
जी
2234 | 1537 | गोली, टबकू
प्रा. ज्ञा
पूर्णिमा श्री कमलप्रभसूरि | भ. श्री अजितनाथ| दि.जै.इ.इ.अ.
243
जी
श्री. श्री. ज्ञा
पूर्णिमा श्री कमलप्रभसूरि
भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
245
2235 | 1533 | कर्मादे, माल्हणदे,
देवकु | 1529 | भावलनदे, लाडीदे
जी
ब्रह्माण. श्री. ज्ञा
श्री बुद्धिसागरसूरि
245
भ. श्री संभवनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी भ. श्री अजितनाथ दि.जै.इ.इ.अ.
2237 | 1532 | पाल्हणदे, अहिवदे
श्री. श्री. ज्ञा
श्री शांतिसूरि
255
जी
2238 | 1505 | हासूदे, नयनादे
श्री. श्री. ज्ञा
अंचल जयके सरसूरि
| भ. श्री सुविधिनाथ दि.जै.इ.इ.अ.
255
2239 | 1503 | कामलदे, हफूंदे, देही | श्री. श्री. ज्ञा
| तपा श्री रत्नषेखरसूरि
| भ. श्री विमलनाथ दि.जै.इ.इ.अ.
256
जी
A
ओस. ज्ञा
श्री सूरि
भ. श्री धर्मनाथ जी दि.जै.इ.इ.अ.
256
2240 1515 | जसमा, देवश्री,
कामलदे, सोही 22411515 | पोमी, लांबी
प्रा. ज्ञा
सिद्धान्त श्री सोमचंद्रसूरि भ. श्री चंद्रप्रभ जी| दि.जै.इ.इ.अ.
256
2242 | 1538 | भली
श्री. श्री. ज्ञा
चैत्र श्री अमरदेवसूरि
भ. श्री चंद्रप्रभ जी| दि.जै.इ.इ.अ.
257
22431525
गुर्जर. ज्ञा
तपा श्री लक्ष्मीसागरसूरि
भ. श्री नमिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
257
2244 | 1533 | लाछू देसल
श्री. श्री. ज्ञा
नागेन्द्र श्री गुणदेवसूरि
भ. श्री सुविधिनाथ दि.जै.इ.इ.अ.
258
2245
| 1545 | पुतली
श्री. श्री. ज्ञा
पूर्णिमा श्री देवसुन्दरसूरि भ. श्री नमिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
258
| जी
2246
11503 | माल्हणदे
बृहद् श्री पार्षचन्द्रसूरि
भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
258
जी
2247 | 1513 | देवली, संसार
उप. ज्ञा
बडगच्छ सर्वदेवसूरि
| भ. श्री पद्मप्रभ | दि.जै.इ.इ.अ.
259
2248 | 1510 | मीनल
श्री. श्री. ज्ञा
पूर्णिमा श्री साधुरत्नसूरि
भ. श्री चंद्रप्रभ जी| दि.जै.इ.इ.अ.
259
2249 | 1506
वाहनदे
श्री. श्री. ज्ञा
पिप्पल. श्री धर्मषेखरसूरि | भ. श्री चंद्रप्रभ जी दि.जै.इ.इ.अ.
260
2250
| 1512 | पूंजी, सूहवदे, नाई
श्री. श्री. ज्ञा
261
थारापद्र श्री विजयसिंहसूरि मुनिचंद्रसूरि
भ. श्री आदिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. चतु जी भ. श्री चंद्रप्रभ जी| दि.जै.इ.इ.अ.
2251 | 1568 | सलखणा
ब्रह्माण. श्री. श्री.
262
2252 | 1518 |नामल, भावदे
उप. ज्ञा
262
भावडार श्री भावदेवसूरि भ. श्री संभवनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी
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