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जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास
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क्र०
संवत् | श्राविका नाम
वंश/गोत्र
प्रेरक/प्रतिष्ठापक
गच्छ/आचार्य | पिप्पल श्री गुणरत्नसूरि
| प्रतिमा निर्माण संदर्भ ग्रंथ
आदि भ. श्री श्रेयांसनाथ| दि.जै.इ.इ.अ.
2209 | 1517 | हेली
श्री. श्री. ज्ञा
232
| जी
2210
| 1548
श्री. श्री. ज्ञा
पिप्पल श्री पद्मानंदसूरि | भ. श्री शीतलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
232
| गांजूदे, गांवदू
मल्हादे | नाडी, कालीदे
| जी
2211 | 1513
श्री. श्री. ज्ञा
ब्रह्माण श्री मणिचन्द्रसूरि | भ. श्री आदिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
233
2212
| 1527
माणिकदे
पिप्पल शांतिभद्रसूरि
भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
233
2213 | 1534 | माल्हणदे, तूबी
| | श्री वीरवंष
234
2214 | 1537 | रामती
234
श्री लक्ष्मीसागरसूरि भ. श्री आदिनाथ दि.जै.इ.इ.अ.
जी अंचल श्री जयकेसरीसूरि | भ. श्री अनंतनाथ दि.जै.इ.इ.अ.
जी जीरा श्री सागरचंद्रसूरि | भ. श्री संभवनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी श्री वीरप्रभ सूरि भ. श्री नमिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
2215 | 1527 | कर्ण, अदी, समू
उप. ज्ञा
234
2216 | 1505 | फखुदे, खेतलदे
| श्री. श्री. ज्ञा
| 235
जी
2217 | 1516 | वीझलदे
श्री. श्री. ज्ञा
पूर्णिमा श्रीदेवचंद्रसूरि
भ. श्री अजितनाथ| दि.जै.इ.इ.अ.
235
जी
2218 | 1516 | कील्हणदे, सुलह
प्रा. ज्ञा.
पूर्णिमा श्री देवचंद्रसूरि
250
भ. श्री शीतलनाथ| दि.जै.इ.इ.अ. जी भ. श्री आदिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी
2219 | 1505
धांधलदे
प्रा. ज्ञा.
श्री विजयसिंहसूरि
236
2220
1520 | गेरी, रूपमति
श्री. श्री. ज्ञा
| पिप्पल श्री धर्मसूरि
भ. श्री कुंथुनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
236
जी
22211515 | खेतलदे, जसमादे
श्री. श्री. ज्ञा
पिप्पल श्री विजयदेवसूरि
भ. श्री चंद्रप्रभ जी| दि.जै.इ.इ.अ.
237
222n | 1524 | मंजूदे, विजयदे
| श्री. श्री. ज्ञा
237
2223|1529 | लीलादे, पल्हादे
उपवंष
237
22241510 | झनू, मचकू
प्रा. ज्ञा
पिप्पल श्री रत्नदेव सूरि भ. श्री श्रेयांसनाथ| दि.जै.इ.इ.अ.
जी अंचल श्री जयकेसरीसूरि भ. श्री विमलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी तपा श्री रत्नषेखरसूरि भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी ब्रह्माण श्री मणिचंद्रसूरि भ. श्री कुंथुनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
| जी श्री वीर सूरि
भ. श्री वासुपूज्य | दि.जै.इ.इ.अ.
238
2225 | 1507 | महगलदे
238
| 2228
1503 | महीदे
श्री. श्री. ज्ञा.
238
जी
2227 | 1527 | मंथू, भांजी .
प्रा. ज्ञा
बृहत्तपा श्री रत्नसिंहसूरि
भ. श्री अजितनाथ| दि.जै.इ.इ.अ.
239
जी
2228
1515
लालूदे, राजू
प्रा. ज्ञा.
श्री लक्ष्मीसागरसूरि
भ. श्री श्रेयांसनाथ दि.जै.इ.इ.अ.
| 239
2229 | 1524 | रूपा, सूडी
श्री. श्री. ज्ञा
पिप्पल विजयदेव सूरि
| भ. श्री संभवनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
| 240
जी
2230
1510 | पाल्हणदे
श्री. श्री. ज्ञा
भावडार श्री वीरसूरि
भ. श्री अभिनंदन | दि.जै.इ.इ.अ.
1240
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