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________________ जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास ___487 क्र० संवत् | श्राविका नाम वंश/गोत्र प्रेरक/प्रतिष्ठापक गच्छ/आचार्य | पिप्पल श्री गुणरत्नसूरि | प्रतिमा निर्माण संदर्भ ग्रंथ आदि भ. श्री श्रेयांसनाथ| दि.जै.इ.इ.अ. 2209 | 1517 | हेली श्री. श्री. ज्ञा 232 | जी 2210 | 1548 श्री. श्री. ज्ञा पिप्पल श्री पद्मानंदसूरि | भ. श्री शीतलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 232 | गांजूदे, गांवदू मल्हादे | नाडी, कालीदे | जी 2211 | 1513 श्री. श्री. ज्ञा ब्रह्माण श्री मणिचन्द्रसूरि | भ. श्री आदिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 233 2212 | 1527 माणिकदे पिप्पल शांतिभद्रसूरि भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 233 2213 | 1534 | माल्हणदे, तूबी | | श्री वीरवंष 234 2214 | 1537 | रामती 234 श्री लक्ष्मीसागरसूरि भ. श्री आदिनाथ दि.जै.इ.इ.अ. जी अंचल श्री जयकेसरीसूरि | भ. श्री अनंतनाथ दि.जै.इ.इ.अ. जी जीरा श्री सागरचंद्रसूरि | भ. श्री संभवनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी श्री वीरप्रभ सूरि भ. श्री नमिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 2215 | 1527 | कर्ण, अदी, समू उप. ज्ञा 234 2216 | 1505 | फखुदे, खेतलदे | श्री. श्री. ज्ञा | 235 जी 2217 | 1516 | वीझलदे श्री. श्री. ज्ञा पूर्णिमा श्रीदेवचंद्रसूरि भ. श्री अजितनाथ| दि.जै.इ.इ.अ. 235 जी 2218 | 1516 | कील्हणदे, सुलह प्रा. ज्ञा. पूर्णिमा श्री देवचंद्रसूरि 250 भ. श्री शीतलनाथ| दि.जै.इ.इ.अ. जी भ. श्री आदिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी 2219 | 1505 धांधलदे प्रा. ज्ञा. श्री विजयसिंहसूरि 236 2220 1520 | गेरी, रूपमति श्री. श्री. ज्ञा | पिप्पल श्री धर्मसूरि भ. श्री कुंथुनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 236 जी 22211515 | खेतलदे, जसमादे श्री. श्री. ज्ञा पिप्पल श्री विजयदेवसूरि भ. श्री चंद्रप्रभ जी| दि.जै.इ.इ.अ. 237 222n | 1524 | मंजूदे, विजयदे | श्री. श्री. ज्ञा 237 2223|1529 | लीलादे, पल्हादे उपवंष 237 22241510 | झनू, मचकू प्रा. ज्ञा पिप्पल श्री रत्नदेव सूरि भ. श्री श्रेयांसनाथ| दि.जै.इ.इ.अ. जी अंचल श्री जयकेसरीसूरि भ. श्री विमलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी तपा श्री रत्नषेखरसूरि भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी ब्रह्माण श्री मणिचंद्रसूरि भ. श्री कुंथुनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. | जी श्री वीर सूरि भ. श्री वासुपूज्य | दि.जै.इ.इ.अ. 238 2225 | 1507 | महगलदे 238 | 2228 1503 | महीदे श्री. श्री. ज्ञा. 238 जी 2227 | 1527 | मंथू, भांजी . प्रा. ज्ञा बृहत्तपा श्री रत्नसिंहसूरि भ. श्री अजितनाथ| दि.जै.इ.इ.अ. 239 जी 2228 1515 लालूदे, राजू प्रा. ज्ञा. श्री लक्ष्मीसागरसूरि भ. श्री श्रेयांसनाथ दि.जै.इ.इ.अ. | 239 2229 | 1524 | रूपा, सूडी श्री. श्री. ज्ञा पिप्पल विजयदेव सूरि | भ. श्री संभवनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. | 240 जी 2230 1510 | पाल्हणदे श्री. श्री. ज्ञा भावडार श्री वीरसूरि भ. श्री अभिनंदन | दि.जै.इ.इ.अ. 1240 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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