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सोलहवीं से 20वीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ
| क्र०
संवत् । श्राविका नाम
वंश/गोत्र
प्रेरक/प्रतिष्ठापक गच्छ/आचार्य
- प्रतिमा निर्माण | संदर्भ ग्रंथ
आदि श्रीपाल रास | जै.गु.क. भाग 1
2310 | 1597 | मानूबाई पुत्र पठनार्थ | ओसवाल ज्ञा. शाह
गोत्र
चरणनंदनगणि लिखित | कुमारपाल रास | जै.गु.क. भाग 1
2311 | 1540 | पुंजा, जातु, सुता
| कुंअरि पठनार्थ 2312 | 1596 लखा पठनार्थ
पद्महंसगणि लिखित
नेमिरास
जै.गु.क. भाग 1
....
| 133
2313 | 1523 कनकाई पुत्र पठनार्थ
तपा लब्धिमंडन मुनि | मृगांकलेखारास | जै.गु.क. भाग 1
।
लिखित 2314 | 1543 चुनाइ, अमरादे ऊकेशवंश भंडारी पुण्यजयगणि
जिनभद्रसूरि जै.गु.क. भाग 1 पठनार्थ
पट्टाभिषेकरास 2315 | 1539 चमकू, सांभू, पूरी
तपा कमलचारित्रगणिकृत | अभयकुमार जै.गु.क. भाग 1 रूपिणि, वाचनार्थ
श्रेणिक रास 2316 | 1504 | जाई, आधी
पं. तिलकवीरगणि के श्री सिद्धहेम | जै.गु.क. भाग 1 लिए
शब्दानुशासनम् को लिपिबद्ध
किया 2317 | 1520 धर्मि
श्री विशेषावश्यक | जै.गु.क. भाग 1
वृत्ति 2318 | 1582
| पवयणी, सुहावदे | खंडेलवाल साहगोत्र | मुनिहेमकीर्ति को प्रदान रत्नकरण्ड शास्त्र | जै.गु.क. भाग 1 लक्ष्मी जवणदे आदि
किया
लिखवाया
167
63
36
37
36
गोत्र
किया
198
2319 | 1582 कावलदे, लाछी, खंडेलवाल साहगोत्र | ब्रह्मवूच को प्रदान किया | सम्यक्त्व कौमुदी | जै.गु.क. भाग 1 लाडी दमयंती,
लिखवाया करणादे सरो 2320 | 1582 | पूनी, ललतादे, खंडेलवाल
ब्रह्मलाला को प्रदान राजवार्तिक | जै.गु.क. भाग 1 नौलादे बहूसिरि वाकलीवाल किया
लिखवाया 2321 | गुणसिरि, केलू
मुनिविमल कीर्ति को प्रवचनसार प्राभृत | जै.गु.क. भाग 1 प्रदान किया
वृत्ति लिखवाया 2322 | 1577 | श्रीमती, ललतादे खंडेलवाल भौंसा, मुनिधर्मचंद्र को प्रदान प्रवचनसार प्राभृत | जै.गु.क. भाग 1. नमणसिरि
वृत्ति लिखवाया 2323 | 1504 धांधलदे, चमकु प्रा.ज्ञा.
जचंद्रसूरि को प्रदान श्री पार्श्वनाथ | जै.गु.क. भाग 1 स्वश्रेयार्थ
किया
चरित्र लिखवाया 2324 | 1583 पुरी, चोखी, राता, पोखड गोत्र बाई पद्मसिरि के लिए हरिषेण चरित्र
| जै.गु.क. भाग 1 लाडी, सहजू
लिखवाया 2325 सरोज जसो रेवती ने अग्रोत, गर्गगोत्र
मृगांकलेखा प्र.सं दसलाखिणी व्रत
चरित्र उद्यापनार्थ 2326 | 17वीं जयमापठनार्थ हुंडीया गोत्र भुवनसोम रचित उत्तराध्ययन | जै.गु.क. भाग 1 सदी
गीतो 36 2327 | 1725 अखु हस्तु
हेमविजय लिखित जिन
जै.गु.क. भाग 4 खसुस्याला वाचनार्थ
प्रतिमादृढ़करण हुंडी रास
(67 कडी) 2328 | 1738 | राजकुंयरि वाचनार्थ
कनकसेन लिखित रतनपाल रास 3 | जै.गु.क. भाग 4
खंड 34 ढाल
| 1700
156
454
88
।
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