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________________ 492 सोलहवीं से 20वीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ | क्र० संवत् । श्राविका नाम वंश/गोत्र प्रेरक/प्रतिष्ठापक गच्छ/आचार्य - प्रतिमा निर्माण | संदर्भ ग्रंथ आदि श्रीपाल रास | जै.गु.क. भाग 1 2310 | 1597 | मानूबाई पुत्र पठनार्थ | ओसवाल ज्ञा. शाह गोत्र चरणनंदनगणि लिखित | कुमारपाल रास | जै.गु.क. भाग 1 2311 | 1540 | पुंजा, जातु, सुता | कुंअरि पठनार्थ 2312 | 1596 लखा पठनार्थ पद्महंसगणि लिखित नेमिरास जै.गु.क. भाग 1 .... | 133 2313 | 1523 कनकाई पुत्र पठनार्थ तपा लब्धिमंडन मुनि | मृगांकलेखारास | जै.गु.क. भाग 1 । लिखित 2314 | 1543 चुनाइ, अमरादे ऊकेशवंश भंडारी पुण्यजयगणि जिनभद्रसूरि जै.गु.क. भाग 1 पठनार्थ पट्टाभिषेकरास 2315 | 1539 चमकू, सांभू, पूरी तपा कमलचारित्रगणिकृत | अभयकुमार जै.गु.क. भाग 1 रूपिणि, वाचनार्थ श्रेणिक रास 2316 | 1504 | जाई, आधी पं. तिलकवीरगणि के श्री सिद्धहेम | जै.गु.क. भाग 1 लिए शब्दानुशासनम् को लिपिबद्ध किया 2317 | 1520 धर्मि श्री विशेषावश्यक | जै.गु.क. भाग 1 वृत्ति 2318 | 1582 | पवयणी, सुहावदे | खंडेलवाल साहगोत्र | मुनिहेमकीर्ति को प्रदान रत्नकरण्ड शास्त्र | जै.गु.क. भाग 1 लक्ष्मी जवणदे आदि किया लिखवाया 167 63 36 37 36 गोत्र किया 198 2319 | 1582 कावलदे, लाछी, खंडेलवाल साहगोत्र | ब्रह्मवूच को प्रदान किया | सम्यक्त्व कौमुदी | जै.गु.क. भाग 1 लाडी दमयंती, लिखवाया करणादे सरो 2320 | 1582 | पूनी, ललतादे, खंडेलवाल ब्रह्मलाला को प्रदान राजवार्तिक | जै.गु.क. भाग 1 नौलादे बहूसिरि वाकलीवाल किया लिखवाया 2321 | गुणसिरि, केलू मुनिविमल कीर्ति को प्रवचनसार प्राभृत | जै.गु.क. भाग 1 प्रदान किया वृत्ति लिखवाया 2322 | 1577 | श्रीमती, ललतादे खंडेलवाल भौंसा, मुनिधर्मचंद्र को प्रदान प्रवचनसार प्राभृत | जै.गु.क. भाग 1. नमणसिरि वृत्ति लिखवाया 2323 | 1504 धांधलदे, चमकु प्रा.ज्ञा. जचंद्रसूरि को प्रदान श्री पार्श्वनाथ | जै.गु.क. भाग 1 स्वश्रेयार्थ किया चरित्र लिखवाया 2324 | 1583 पुरी, चोखी, राता, पोखड गोत्र बाई पद्मसिरि के लिए हरिषेण चरित्र | जै.गु.क. भाग 1 लाडी, सहजू लिखवाया 2325 सरोज जसो रेवती ने अग्रोत, गर्गगोत्र मृगांकलेखा प्र.सं दसलाखिणी व्रत चरित्र उद्यापनार्थ 2326 | 17वीं जयमापठनार्थ हुंडीया गोत्र भुवनसोम रचित उत्तराध्ययन | जै.गु.क. भाग 1 सदी गीतो 36 2327 | 1725 अखु हस्तु हेमविजय लिखित जिन जै.गु.क. भाग 4 खसुस्याला वाचनार्थ प्रतिमादृढ़करण हुंडी रास (67 कडी) 2328 | 1738 | राजकुंयरि वाचनार्थ कनकसेन लिखित रतनपाल रास 3 | जै.गु.क. भाग 4 खंड 34 ढाल | 1700 156 454 88 । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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