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सोलहवीं से 20वीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ
क्र० . | संवत्
| श्राविका नाम
वंश/गोत्र
।
पृ.
प्रेरक/प्रतिष्ठापक - गच्छ/आचार्य श्री वीरसूरि
प्रतिमा निर्माण संदर्भ ग्रंथ
आदि भ. श्री सुमतिनाथ दि.जै.इ.इ.अ.
2055 | 1512 | पाल्हदे, माल्हाणदेवी | श्री. श्री. ज्ञा
2056 | 1583 | पूंजरी, हेमादेवी
श्री यक्षदेवसूरि
भ. श्री शांतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
2057 | 1536 | धर्मिणी, गूरी, कुंअरि | श्री. श्री. ज्ञा
पूर्णिमा श्री पुण्यरत्नसूरि | भ. श्री आदिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी पिप्पल श्री धर्मसागरसूरि भ. श्री शांतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
2058
1528 | फदू
श्री. श्री. ज्ञा
जी
2059 | 1501 | कमलादेवी,माल्हणदेवी | श्री अंचल
श्री जयकीर्तिसूरी
भ. श्री अजितनाथ दि.जै.इ.इ.अ.
जी
2060
1513 | कर्मादेवी, धारणदेवी
श्री. श्री. ज्ञा
चैत्र श्री लक्ष्मीदेवसूरि
भ. श्री अजितनाथ| दि.जै.इ.इ.अ.
20611511 | रतूदेवी
श्री. श्री. ज्ञा
भ. श्री कुंथुनाथ
दि.जै.इ.इ.अ.
श्रीराजतिलकसूरि श्री सूरि सिद्धान्ती सोमचन्द्रसूरि
जी
2062 | 1509 | राजी, पूरी
श्री. श्री. ज्ञा
भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी
2063
पिप्पल श्री सोमचंद्रसूरि
भ. श्री शीतलनाथ दि.जै.इ.इ.अ.
| 1509 | | हांसलदेवी,
श्री. श्री. ज्ञा चांपलदेवी, लूणादेवी 1505 | परमलदेवी,सिंगारदेवी | श्री. श्री. ज्ञा
जी
2064
श्री प्रद्युम्नसूरि
भ. श्री विमलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
72
2065
1525
श्री. ज्ञा
| ब्रह्माण श्री वीरसूरि
भ. श्री शांतिनाथ
दि.जै.इ.इ.अ.
| कसमीरा, | फलीझाबली टीबू, धारिणी
2066 / 1528
श्री. श्री. वंष
अंचल श्रीराजकेसरीसूरि
भ. श्री सुविधिनाथ दि.जै.इ.इ.अ.
जी
2067
1513 | डाही, लाछी
पूर्णिमा. जयशेखरसूरि
भ. श्री शांतिनाथ
दि.जै.इ.इ.अ.
| श्री. श्री. ज्ञा
श्री सुमतिरत्नसूरि
भ. श्री सुपार्श्वनाथ दि.जै.इ.इ.अ.
20681580 राखी, हमीरदेवी,
नीति 20691517 | वाल्ही
प्रा. ज्ञा
श्री लक्ष्मीसागरसूरि
भ. श्री विमलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
2070
| 1563 | अमरी
श्री. श्री. ज्ञा
पूर्णिमा सुमतिप्रभुसुरी
भ. श्री चंदप्रभु जी| दि.जै.इ.इ.अ.
2071
1529 | भावलदे
| ब्रह्माण. श्री.
ज्ञाश्री वृद्धिसागर सूरि
| भ. श्री संभवनाथ
दि.जै.इ.इ.अ.
1115
2072 | 1532 | पाल्हणदे, अहिवदे
श्री. श्री. ज्ञा
| श्री शांतिसूरी
भ. श्री अजितनाथ| दि.जै.इ.इ.अ.
115
2073 | 1513 | वानू, वाल्ही, गोमति | श्री मूलसंघ सरस्वती | श्री विमलेंद्रसूरि
भ. श्री शांतिनाथ - दि.जै.इ.इ.अ.
| 115
2074|1537 | रत्नू धन्नी
श्री. वीर वंष
अंचल जयकेसरी सूरि । | भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
116
2075 | 1591
लाखू लालीदे
श्री. श्री. ज्ञा
ब्रह्माण श्री विमलसूरि
116
| भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी भ. श्री कुंथुनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
2076
1552 | झाझु जारू, रामती
श्री. श्री. वंष
अंचल सिद्धांतसागरसूरि
119
जी
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