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________________ 480 सोलहवीं से 20वीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ क्र० . | संवत् | श्राविका नाम वंश/गोत्र । पृ. प्रेरक/प्रतिष्ठापक - गच्छ/आचार्य श्री वीरसूरि प्रतिमा निर्माण संदर्भ ग्रंथ आदि भ. श्री सुमतिनाथ दि.जै.इ.इ.अ. 2055 | 1512 | पाल्हदे, माल्हाणदेवी | श्री. श्री. ज्ञा 2056 | 1583 | पूंजरी, हेमादेवी श्री यक्षदेवसूरि भ. श्री शांतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 2057 | 1536 | धर्मिणी, गूरी, कुंअरि | श्री. श्री. ज्ञा पूर्णिमा श्री पुण्यरत्नसूरि | भ. श्री आदिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी पिप्पल श्री धर्मसागरसूरि भ. श्री शांतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 2058 1528 | फदू श्री. श्री. ज्ञा जी 2059 | 1501 | कमलादेवी,माल्हणदेवी | श्री अंचल श्री जयकीर्तिसूरी भ. श्री अजितनाथ दि.जै.इ.इ.अ. जी 2060 1513 | कर्मादेवी, धारणदेवी श्री. श्री. ज्ञा चैत्र श्री लक्ष्मीदेवसूरि भ. श्री अजितनाथ| दि.जै.इ.इ.अ. 20611511 | रतूदेवी श्री. श्री. ज्ञा भ. श्री कुंथुनाथ दि.जै.इ.इ.अ. श्रीराजतिलकसूरि श्री सूरि सिद्धान्ती सोमचन्द्रसूरि जी 2062 | 1509 | राजी, पूरी श्री. श्री. ज्ञा भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी 2063 पिप्पल श्री सोमचंद्रसूरि भ. श्री शीतलनाथ दि.जै.इ.इ.अ. | 1509 | | हांसलदेवी, श्री. श्री. ज्ञा चांपलदेवी, लूणादेवी 1505 | परमलदेवी,सिंगारदेवी | श्री. श्री. ज्ञा जी 2064 श्री प्रद्युम्नसूरि भ. श्री विमलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 72 2065 1525 श्री. ज्ञा | ब्रह्माण श्री वीरसूरि भ. श्री शांतिनाथ दि.जै.इ.इ.अ. | कसमीरा, | फलीझाबली टीबू, धारिणी 2066 / 1528 श्री. श्री. वंष अंचल श्रीराजकेसरीसूरि भ. श्री सुविधिनाथ दि.जै.इ.इ.अ. जी 2067 1513 | डाही, लाछी पूर्णिमा. जयशेखरसूरि भ. श्री शांतिनाथ दि.जै.इ.इ.अ. | श्री. श्री. ज्ञा श्री सुमतिरत्नसूरि भ. श्री सुपार्श्वनाथ दि.जै.इ.इ.अ. 20681580 राखी, हमीरदेवी, नीति 20691517 | वाल्ही प्रा. ज्ञा श्री लक्ष्मीसागरसूरि भ. श्री विमलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 2070 | 1563 | अमरी श्री. श्री. ज्ञा पूर्णिमा सुमतिप्रभुसुरी भ. श्री चंदप्रभु जी| दि.जै.इ.इ.अ. 2071 1529 | भावलदे | ब्रह्माण. श्री. ज्ञाश्री वृद्धिसागर सूरि | भ. श्री संभवनाथ दि.जै.इ.इ.अ. 1115 2072 | 1532 | पाल्हणदे, अहिवदे श्री. श्री. ज्ञा | श्री शांतिसूरी भ. श्री अजितनाथ| दि.जै.इ.इ.अ. 115 2073 | 1513 | वानू, वाल्ही, गोमति | श्री मूलसंघ सरस्वती | श्री विमलेंद्रसूरि भ. श्री शांतिनाथ - दि.जै.इ.इ.अ. | 115 2074|1537 | रत्नू धन्नी श्री. वीर वंष अंचल जयकेसरी सूरि । | भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 116 2075 | 1591 लाखू लालीदे श्री. श्री. ज्ञा ब्रह्माण श्री विमलसूरि 116 | भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी भ. श्री कुंथुनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 2076 1552 | झाझु जारू, रामती श्री. श्री. वंष अंचल सिद्धांतसागरसूरि 119 जी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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