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जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास
क्र०
| संवत् | श्राविका नाम
वंश/गोत्र
प्रेरक/प्रतिष्ठापक । प्रतिमा निर्माण संदर्भ ग्रंथ गच्छ/आचार्य
आदि वीरसूरि श्री जिनदेवसूरि | भ. श्री शीतलनाथ| दि.जै.इ.इ.अ.
2077
| 1515
लाछू
श्री. श्री. ज्ञा
119
जी
.
प्रा.शा
2078 | 1547 | रमक टमकू
अंथन सिद्धांतसागर जूति की शातिनाथ विजीकइन
प्रा. ज्ञा
अंचल सिद्धांतसागर सूरि | भ. श्री शांतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
| 121
|
2079
1517 | राणलदे, माणक दे
श्रीउएसवंष
अंचल श्री जयकेसरीसूरि भ. श्री चन्द्रप्रभ | दि.जै.इ.इ.अ.
121
2080
1507
राजलदे
श्री. श्री. ज्ञा
नागेन्द्र श्री विनयप्रभसूरि | भ. श्री कुंथुनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी पूर्णिमा श्री कमलप्रभसूरि | भ. श्री संभवनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
2081 | 1582
जीविनी, वइजलदे,
श्री. श्री. ज्ञा
124
लीला
2082 | 1505
हांसू, नयणादे
श्री. श्री. ज्ञा
अंचल श्री जयकेसरीसूरि | भ. श्री सुविधिनाथ| दि.जै.इ.इ.अ.
125
2083
| 1503 | कामलदे, ह', देही
श्री. श्री. ज्ञा
तपा श्री रत्नशेखरसूरी
भ. श्री विमलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
125
2084
1555
श्री. ओसवंष
श्री सूरि
भ. श्री धर्मनाथ जी दि.जै.इ.इ.अ.
125
जसमादे, देवासिरी कामलदे, सोही पोमी लावी
2085
1515
प्रा. ज्ञा
सिद्धान्ती सोमचन्द्रसूरि
| दि.जै.इ.इ.अ.
126
भ. श्री चन्द्रप्रभ जी भ. श्री चन्द्रप्रभ
2086
1538 | भाली
श्री. श्री. ज्ञा
चैत्र अमरदेवसूरि
|दि.जै.इ.इ.अ.
126
जी
2087
| 1525 | आसू
गुर्जर. ज्ञा
126
2088
| 1533 | लाछू देसलदे
श्री. श्री. ज्ञा
126
2089 | 1545 | नागिनी, पूतली
श्री. श्री. ज्ञा
127
श्री लक्ष्मीसागरसूरि भ. श्री नमिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी नागेन्द्र श्री गुणदेव सूरि | भ. श्री सुविधिनाथ दि.जै.इ.इ.अ.
जी पूर्णिमा श्री देवसुंदरसूरी | भ. श्री नमिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी वृहद श्री पार्श्वचन्द्रसूरि भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी वडगच्छ श्री सर्वदेवसूरि | भ. श्री पदमप्रभ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी पूर्णिमा श्री साधुरत्नसूरी | भ. श्री चंद्रप्रभु जी| दि.जै.इ.इ.अ.
2090
1503
| माल्हणादे
श्री. श्री. ज्ञा
128
2091
1513 | देवलदे, संसारदे
श्री. उपकेष. ज्ञा
128
2092
| 1510
मीणलदे
श्री. श्री. ज्ञा
2093
1506 | वाहणदे
श्री. श्री. ज्ञा
पिप्पल श्री धर्मषेखरसूरी
भ. श्री चंद्रप्रभु जी| दि.जै.इ.इ.अ.
130
2094 | 1512 | पूंजी, सुहवदे, नाईदे | श्री. श्री. ज्ञा
श्री विजयसिंहसूरी
भ. श्री आदिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
| 130
2095 | 1568 | सलखू
श्री. श्री. ज्ञा
मुनिचंद्रसूरि
भ. श्री चन्द्रप्रभु | दि.जै.इ.इ.अ.
| 131
जी
2096 | 1518 | आमलदे, माउदे
उपकेवंष ज्ञा
भावडार श्री भावदेव सूरि | भ. श्री संभवनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
131
जी
2097 | 1532
कर्मा, दीपीदे
तपा श्री लक्ष्मीसागर सूरि भ. श्री विमलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
132
जी
2098
1520
हरखू, कुंअरि
श्री. श्री. वंष
अंचल श्री जयकेसरीसूरी | भ. श्री वासुपूज्य | दि.जै.इ.इ.अ.
133
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