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________________ जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास क्र० | संवत् | श्राविका नाम | वंश/गोत्र । प्रेरक/प्रतिष्ठापक गच्छ/आचार्य नागेन्द्र श्री गुण देवसूरि प्रतिमा निर्माण संदर्भ ग्रंथ आदि भ. श्री सुविधिनाथ| दि.जै.इ.इ.अ. 2033 1533 | | लाछु देवली | श्री. श्री. ज्ञा 2034 | 1522 | साल्हीकेन उप. ज्ञा श्री गोत्र | उपकेष श्री कक्कसूरि भ. श्री शीतलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी 2035 1510 | भावदेवी, हेमला श्री. श्री. ज्ञा पिप्पल. धर्मशेखरसूरि भ. श्री शांतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी 2036 | 1506 | लूणादेवी श्री. श्री. ज्ञा श्री पिप्पल. धर्मशेखरसूरि भ. श्री श्रेयांसनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी 2037 | 1517 | कपुरदेवी श्री. ब्रह्माण पज्जूनसूरि भ. श्री अजितनाथ दि.जै.इ.इ.अ. 2038 | 1507 | टहिकू, हांसू श्री. श्री. ज्ञा 2039 | 1506 | तिलुश्री श्री. श्री. ज्ञा सिद्धांती श्री सोमचंद्रसूरि भ. श्री शीतलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी पिप्पल. धर्मशेखरसूरि भ. श्री श्रेयांसनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी खरतर. श्री जिनभद्रसूरि | भ. श्री शांतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 2040 1510 | माल्हण देवी उपकेष भ० श्री. प्रा. ज्ञा भ. श्री सुविधिनाथ दि.जै.इ.इ.अ. 2041 | 1528 देमति 2042 | 1534 | तेजू, वमी बृहतपा श्री ज्ञानसागरसूरि श्री सूरि प्रा. ज्ञा भ. श्री श्रेयांसनाथ| दि.जै.इ.इ.अ. जी 2043 1515 धापू श्री. श्री. ज्ञा पूर्णिमा श्री साधुरत्नसूरि भ. श्री नमिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी 2044 | 1517 सुहवदेवी, नीनादेवी श्री. श्री. ज्ञा श्री विजयसिंह सूरि भ. श्री श्रेयांसनाथ दि.जै.इ.इ.अ. जी भ. श्री श्रेयांसनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 2045 | 1535 | हीरादेवी, नीनादेवी श्री उएस वंष श्री विजयसिंह सूरि जी 2046 | 1507 | मोटी, जयरू वीरवंष अचंल श्री जयकेसरीसूरी | भ. श्री धर्मनाथ जी दि.जै.इ.इ.अ. 2047 | 1501 | सुहवदेवी भ. श्री श्रेयांसनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. बुध गोत्र श्री. श्री. ज्ञा श्री. श्री. ज्ञा थारापद्र श्री विजयसिंहसूरि चैत्र श्री लक्ष्मीदेव सूरि जी 2048 1511 | गेली, बाऊ भ. श्री आदिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 2049 1533डाही, रंगी श्री. श्री. ज्ञा भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. पिप्पल श्री पद्मसनंदसूरि आगम श्री हेमरत्नसूरि जी 2050 | 1505 | खीमलदेवी, मांजूदेवी | श्री. ज्ञा भ. श्री सुमितिनाथ| दि.जै.इ.इ.अ. जी 2051 | 1515 | जानू देवी श्री. ज्ञा श्री पूर्णिमारराधुरत्नसूरि भ. श्री सुविधिनाथ| दि.जै.इ.इ.अ. 2052 | 1513 | बाईपन्ना, राजू श्री. श्री. ज्ञा श्री सोमचंद्रसूरि भ. श्री कुंथुनाथ दि.जै.इ.इ.अ. 2053 1528 | भाणी श्री. श्री. ज्ञा धर्मसागरसूरी भ. श्री विमलनाथ दि.जै.इ.इ.अ. 2054 1519 | हरखू श्री. ज्ञा पूर्णिमा श्री साधुरत्नसूरि | भ. श्री पार्श्वनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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