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________________ सोलहवीं से 20वीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ क्र० संवत् श्राविका नाम वंश/गोत्र । प्रेरक/प्रतिष्ठापक गच्छ/आचार्य तपा धनरत्नसूरि | प्रतिमा निर्माण संदर्भ ग्रंथ आदि भ. श्री संभवनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 1923 | 1572 | जानू, सहजलदे श्री. श्री जी 1924 | 1572 | जानू, सहजलदे, | श्री. श्री भ. श्री संभवनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 1925 | 1572 | चंपाई उसवाल वृद्धतपा सौभाग्यसागरसूरि वृद्धतपा सौभाग्यसागरसूरि राकापक्ष सागरदत्त्सूरि भ. श्री पद्मप्रभु दि.जै.इ.इ.अ. जी | भ. श्री शांतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 1926 | 1572 | कीकी, नाथी श्री. श्री जी 1927 1573 | सूलही, रूपाई श्री. श्री. वंष लक्ष्मीसागरसूरि भ. श्री आदिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी 1928 | 1573 | चापलदे, कमलादे श्री. श्री नागेंद्रगच्छ हेमसंघसूरि भ. श्री मुनिसुव्रत | दि.जै.इ.इ.अ. 1929 | 1573 | जीवू भ. श्री नेमीयुता | दि.जै.इ.इ.अ. अंबिकापूर्ति जी भ. श्री चंद्रप्रभु जी| दि.जै.इ.इ.अ. 1930 1574 | सूलेसरि उपकेष. ज्ञा सावदेवसूरि 1931 1576 | वीरा कलधरगोत्र नंदीतगच्छ विष्वसेन भ. श्री आदिनाथ दि.जै.इ.इ.अ. जी 1932 1576 | वाषू, सेउ श्रीमाल. ज्ञा भ. श्री वासुपूज्य | दि.जै.इ.इ.अ. चित्रावाल लक्ष्मीसागरसूरि ब्रह्माण वीरसूरि जी 1933 | 1577 | गुरी, वइजलदे श्री. श्री भ. श्री विमलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 1934 1577 | घेतलदे, वीरू श्री. श्री ब्रह्माण वीरसूरि भ. श्री संभवनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी भ. श्री संभवनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 1935 | 1577 बाई उपकेष. ज्ञा हेमविमलसूरि जी 1936 | 1578 | लाली, धीमकेन प्रा. हा सौभाग्यहर्षसूरि भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 1937 | 1579 | चमकू, राजलदे श्री श्री सर्वसूरि भ. श्री नेमिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 1938 1579 धेटी उसवंष कक्कसूरि भ. श्री आदिनाथ दि.जै.इ.इ.अ. 1939 | 1579 | षीमी उस वंष, लाहीगोत्र | खरतर जिनहंससूरि 1940 श्री. श्री आगम उदयरत्नसूरि | 1580 | लाड़कि, सोमाई, मनाई 1581 | माणिकि, लाला भ. श्री आदिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी भ. श्री आदिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी भ. श्री कुंथुनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 1941 | प्रा. ज्ञा तपा. सौभाग्यनंदीसूरि जी 1942 | 1582 | अधकू, लीलादे वायड ज्ञज्ञ आगम. गुणनिधानसूरि चंद्रस्वामी पंचतीर्थी दि.जै.इ.इ.अ. जी भ. श्री शीतलनाथ दि.जै.इ.इ.अ. 1943 1583 | सोनाई, गुराई उसवाल. ज्ञा हारीज. शीलभद्रसूरि 1944 | 1584 | सषी, वरबाई आदिनाथ जी दि.जै.इ.इ.अ. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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