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________________ जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास ___473 क्र० संवत् श्राविका नाम वंश/गोत्र प्रेरक/प्रतिष्ठापक गच्छ/आचार्य विमलनाथसूरि प्रतिमा निर्माण संदर्भ ग्रंथ । आदि भ. श्री विमलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 1902 | 1567 | रमी, पुतलि श्री. श्रीमाल ज्ञा 1903 | 1567 | हीरू श्री. श्री मुनिचंद्रसूरि भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी 1904 | 1567 | पद्माई, जीवाई श्री. श्री.ज्ञा सर्वसूरि भ. श्री धर्मनाथ जी दि.जै.इ.इ.अ. 1905 | श्री. श्री. ज्ञा आगम. सागररत्नसूरि भ. श्री मुनिसुव्रत | दि.जै.इ.इ.अ. 1568 | वलहादे, पूतलि. मलहाई | 1568 | संपूरी जी 1906 श्री. श्री मुनिचंद्रसूरि भ. श्री शीतलनाथ दि.जै.इ.इ.अ. जी भ. श्री पार्श्वनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. तपा. जयकल्याणसूरि 1907 | 1568 | अमरी, चमकू सूदारि, हुबंड़ ज्ञा रंगा, रूपी, नाचकदे, वईजलदे 1908 | 1568 | झमकू मयकू उकेष ज्ञा तपा. हेमविमलसूरि भ. श्री सुमतिनाथ दि.जै.इ.इ.अ. जी भ. श्री कुंथुनाथ दि.जै.इ.इ.अ. 1909 | 1569 | सोहीगदे, मुरदे नागर ज्ञा अंचल. भावसागरसूरि जी 1910 1570 तेजलदे, धर्माई, श्री. श्री वृद्धतपा. धनरत्नसूरि रंगादे भ. श्री कुंथुनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी भ. श्री चंद्रप्रभु जी दि.जै.इ.इ.अ. 1911 | 1570 | सहिजलदे, जसमादे | | प्रा. ज्ञा नागेंद्र. हेमसिंहसूरि 1912 | 1570 | चमक, चंगी, दूबी अंचल. भावसागरसूरि भ. श्री संभवनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी 1913 1570 | चंगी, लषमाई श्री. श्री पिप्पल. पद्मसूरि भ. श्री सुमतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी 1914 1570 | प्रभा, हरषी श्री. श्री तपा. हेमविमलसूरि भ. श्री श्रेयांसनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 1915 1570 | कइ, मरगहि श्री. श्री. ज्ञा ब्रह्माण. जइसूरी भ. श्री चंद्रप्रभु जी| दि.जै.इ.इ.अ.. 1916 1570 | वाली, हापाई मोढ़ ज्ञा वृद्धतपा, धनरत्नसूरि भ. श्री चंद्रप्रभु जी| दि.जै.इ.इ.अ. प्रा. ज्ञा तपा हेमविमलसूरि भ. श्री संभवनाथ दि.जै.इ.इ.अ. 1917 | 1571 | लाली, राजलदे, नाथी माली 1918 | 1571 | हेरादे, वलहादे जी उसवाल. ज्ञा आगम श्रीसूरि भ. श्री वासुपूज्य दि.जै.इ.इ.अ. जी 1919 | 1572 | देवलदे लीलादे श्री. श्री पिप्पल विनयसागरसूरि भ. श्री वासुपूज्य | दि.जै.इ.इ.अ. जी भ. श्री श्रेयांसनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. 1920 | 1572 | फता, हीरादे श्री. श्री आगम श्रीसूरि 1921 1572 | राजलदे वृद्धतपा सौभाग्यसागरसूरि वृद्धतपा सौभाग्यसागरसूरि भ. श्री संभवनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी भ. श्री चंद्रप्रभु जी| दि.जै.इ.इ.अ. 1922 | 1572 | संपूरी, वईजलदे श्री. श्री Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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