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सोलहवीं से 20वीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ
क्र०
संवत्
श्राविका नाम
वंश/गोत्र
प्रेरक/प्रतिष्ठापक | प्रतिमा निर्माण संदर्भ ग्रंथ गच्छ/आचार्य
आदि कक्कसूरी
भ. श्री शीतलनाथ दि.जै.इ.इ.अ.
1880
उप. ज्ञा
1559 | कुअरि, भक्ति,
सोभागिणी 1560 | सघई, हेमई
1881
उस. ज्ञा
| देवगुप्तसूरी
भ. श्री आदिनाथ
दि.जै.इ.इ.अ.
1882
1560 | पोई, सूहवदे,
सिंगारदे 1560 | वनादे, कहरणादे
1883
उछतवाल उप. ज्ञज्ञ | वीरचंद्रसूरी
भ. श्री कुथुनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. गोत्र उकेषवंष
जी श्री. श्री पूर्णिमा. सौभाग्यरत्नसूरी | भ. श्री नेमिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
जी उसवाल. ज्ञा श्रीसूरी
भ. श्री विमलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
1884
1560
लीलादे, देमाई
1885
1560 | गंगादे, लसा
तपा. हेमविमलसूरी
भ. श्री सुमतिनाथ दि.जै.इ.इ.अ.
जी
1886
1560 | पद्माई
श्री वंष
भावसागरसूरि
भ. श्री धर्मनाथ जी दि.जै.इ.इ.अ.
1887 | 1561
लाडू, रामति, हर्षमदे | हूंबड़ ज्ञा
वृद्धतपा बुद्धिसागरसूरि
भ. श्री शीतलनाथ | दि.जै.इ.इ.अ. जी भ. श्री सुमतिनाथ दि.जै.इ.इ.अ.
1888 | 1561 | अमकू, माघलदे
उकेष. ज्ञा
उकेष. सिद्धसूरी
जी
1889 | 1563
सहिजलदे, अमरादे | प्रा. ज्ञा
पूर्णिमा. उदयचंद्रसूरी
भ. श्री धर्मनाथ जी दि.जै.इ.इ.अ.
1890
| 1563 | गउरदे
उकेष, वंष ढींगसेत्र | खरतर. जिनहंससूरि
भ. श्री चंद्रप्रभु जी| दि.जै.इ.इ.अ.
18911564 हर्षाई, टीकु
श्रीमाल. ज्ञज्ञ
तपा. हेमविमलसूरी
भ. श्री आदिनाथ दि.जै.इ.इ.अ. जी भ. श्री सुमतिनाथ दि.जै.इ.इ.अ.
1892
| 1564| गोरी; गेली, मज्लाई
श्री. श्रीवंष
अंचल. भावसागरसूरि
जी
1893
1564| गोरी, गेली, जेठी
श्री. श्रीवंष
| अंचल. भावसागरसूरि
भ. श्री चंद्रप्रभु जी दि.जै.इ.इ.अ.
1534 | गोरी. गेल्ही
श्री. श्रीवंष
| अंचल. भावसागरसूरि
भ. श्री अजितनाथ| दि.जै.इ.इ.अ.
1895
1565 | माणिकदे, रूपी
श्री. श्री
पूर्णिमा. सौभाग्यसूरी
भ. श्री श्रेयांसनाथ| दि.जै.इ.इ.अ.
1896
1565 | माघलदे, पांची
श्री. श्री
सुमतिप्रभसूरि
भ. श्री सुमतिनाथ दि.जै.इ.इ.अ.
1897
1565
उसवाल. ज्ञा
वृद्धतपा. लब्धिसागरसूरि | भ. श्री नेमिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
सोमाई, कुलवंती, राजलदे माकू
1898
श्री. श्री
नागेंद्र. हेमरत्नसूरि
भ. श्री आदिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
1899
1566 | नागिणि, सिरियादे
श्री श्री वंष
अंचल. भावसागरसूरि
भ. श्री अभिनंदन
दि.जै.इ.इ.अ.
1900
1566 | कसूराई
प्रा.ज्ञा
हेमविमलसूरि
भ. श्री शांतिनाथ | दि.जै.इ.इ.अ.
19011566 गोमति
प्राग्वंष जिनरक्षत
जिनहंससूरि
भ. श्री मुनिसुव्रत
दि.जै.इ.इ.अ.
गोत्र
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