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जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास
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संवत्
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1571
583
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584
1520
1525
"
576 1597
1549
1551
578 15..
1580
1588
580 1527
1596
1595
1528
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श्राविका नाम
चोख श्री
सुहाग
सोमाई
इंदा, खेमा
परमा, रणा
सोना, मना
"
पोबाही
सिंगार
सलखणदे, खेतलदे
लिबाइ, बमटाइ
गोताइ, दाइ
प्रगंधा, जैसी,
तावसी
नयणश्री, मेहादे,
सुहाग
लीलादे, राजलदे
अंबा
राजाही
ताल्ही, विणी,
जिनमति
लाडो
जयश्री, भावश्री
वंश / गोत्र
कांधावल गोत्र
वोटवाड़ गोत्र
श्री श्रीवंश
लंबकंचुकान्वय अउली निवासी
गोलालारान्वय
लंबकचुकान्वय
"
अग्रोत, गोल गोत्र
उकेश. ज्ञा. वरहडाआ गोत्र
प्रा. ज्ञा
खंडेलवाल. ज्ञा. कटरिया गोत्र
वघेरवाल, सावलिया गोत्र
माहिमवंश
खंडेलवाल, गोधा गोत्र
नरसिंहपुरा ज्ञा. नागर गोत्र
घरकौ. ज्ञा.
खंडेलवाल वंश
झबकू, राजू महिगलदे
बुध गोत्र
वैसा, रेना, तावसी महियवंश
अग्रोत गर्ग
अग्रोत, मित्तल
सवाल काष्ठासंघ
प्रेरक / प्रतिष्ठापक
गच्छ / आचार्य
मंडलाचार्य धर्मचंद्र को प्रदान की थी
अंचल. भावसागरसूरि
भट्टा. श्री सिंहकीर्ती
मूलसंघ सिंहकीर्ति
भाववर्धनगणि.
जिनसेन
मूलसंघ भट्टा श्री लक्ष्मीसेन
मूलसंघ सकलकीर्ति भुवनकीर्ति
मूल. सिंहकीर्तिदेव
प्रतिमा निर्माण आदि
पांडुलिपि लिखवाई
ताम्र यंत्र
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मुनिसुव्रतस्वामी
महावीर समवसरण
श्रेयांसनाथ
जिन प्रतिमा
चंद्रप्रभु
पार्श्वनाथ
शीतलनाथ
जिन प्रतिमा
जिन प्रतिमा
धर्म परीक्षा ग्रंथ लिपिबद्ध अनंतयंत्र
करवाया
विश्वसेन
जिन प्रतिमा
संदर्भ ग्रंथ
जिन प्रतिमा"
" जिन प्रतिमा"
खं.जै.स.बृ.इ.
खं.जै.स.बृ.इ.
श्रमण 1999
जै. सि.भा. सन् 1935
जै.सि.भा. सन् 1936
जै.सि.भा. सन् 1936
जै.सि.भा. सन् 1936
जै. सि.भा. सन् 1936
जै.सि.भा. सन् 1936
श्रमण 1999
जै. सि.भा. सन् 1947
जै. सि.भा. सन् 1947
जै.सि.भा. सन् 1936
जै.सि.भा. सन् 1940
जै.सि.भा. सन् 1940
मुनि देवनंदि को भेंट पं.चं. अं.ग्र. में दिया
पार्श्वनाथ
जै.सि.भा. सन् 1935
जै.सि.भा. सन् 1940
जै. सि.भा. सन् 1935
जै.सि.भा. सन् 1936
जै.सि.भा. सन् 1940
जै.सि.भा. सन् 1935
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पृ.
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