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आठवीं से पंद्रहवीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ
क्र. | सन् श्राविका नाम
संबंध
अवदान
संदर्भ ग्रंथ
प्रेरक/प्रतिष्ठापक आचार्य/गच्छ
१०४३ वीं सदी मायक्क
सूरस्थ गुण नयकीर्ति | जिनर्मानुपायी थी, अंतिम समय | जै. शि. सं. भा. ५ |२७.७१/
| में इसने समाधिमरण सहित मत्यु
का वरण किया था।
मुनींद्र
१०५ /
७१ | सातिरही की पत्नि
अनंतकीर्ति भट्टारक की
शिष्या थी।
सतिसेट्टी की पलि ने समाधि | जै. शि. सं. भा.५ | ६० मरण से मृत्यु का वरण किया
१०६ | १२३० ।
सोवलदेवी
प्रा. जै. स्मारक.
सहस्त्रकूट के लिए भूमि |
का दान दिया था।
८७ १२११ ई | मल्ले गवुण्डि
सकलचंद्र मुनि देवजिनेंद्र | मुक्ति को प्राप्त किया था। | जै. शि. सं. भा. ३
| जक्कने जक्कलेद्ध | मण्डनमुछ और लाचचे की पुत्री | तपस्वी अनंतकीर्ति थे
थी, विख्यात भरत की पत्लि थी
१०६
१२०७ ।
सोमलदेवी | एचण की पत्नि थी
| तपस्वी जक्कव्वे ने | जै. शि. सं. भा. ३ | २३४ | समाधिमरण से स्वर्ग प्राप्त किया था।
जै. सि. भा. ६६ बेलवट्टिनाड़ स्थान में एक बसदिका | निर्माण करवाकर उसके लिए भूमि
का दान दिया था। | हग्गरे तीर्थ भरत पंडित को दान | जै. सि. भा. ७
दिया था।
का १३वीं शती | जक्कियचे की पुत्री
का | १२२३ | अच्छाम्बिके । मंत्री चंद्रमौली की पत्नि थी
जै. शि. सं. भा. ३
श्रवणबेलगोल में उसने पार्श्वनाथ मंदिर अक्कन बस्तिबनवाया था
R | १२६० । सोवलदेवी । मंत्री एच की पत्नि थी।
जै. बि. पा १.
४५३/
एक मंदिर का निर्माण किया | पूजन तथा मंदिर के लिए दान
दिया था।
१३ | १२७७ |
कुमारला
जै. बि. पा. १.
६३७
शांतिनाथ मंदिर में देवकुलिका का निर्माण
जै. बि. पा.१.
५१६
18 | १३वीं शती | जक्कियब्बे की
| पुत्री
आदिनाथ बस्ति का निर्माण किया था।
५
२0१ | चंद्रिका महादेवी | कार्तवीर्यदेव की माता थी
सट्टो का मंदिर
जै. शि. सं. भा.३ | २६७
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