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________________ 268 आठवीं से पंद्रहवीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ क्र. | सन् श्राविका नाम संबंध अवदान संदर्भ ग्रंथ प्रेरक/प्रतिष्ठापक आचार्य/गच्छ १०४३ वीं सदी मायक्क सूरस्थ गुण नयकीर्ति | जिनर्मानुपायी थी, अंतिम समय | जै. शि. सं. भा. ५ |२७.७१/ | में इसने समाधिमरण सहित मत्यु का वरण किया था। मुनींद्र १०५ / ७१ | सातिरही की पत्नि अनंतकीर्ति भट्टारक की शिष्या थी। सतिसेट्टी की पलि ने समाधि | जै. शि. सं. भा.५ | ६० मरण से मृत्यु का वरण किया १०६ | १२३० । सोवलदेवी प्रा. जै. स्मारक. सहस्त्रकूट के लिए भूमि | का दान दिया था। ८७ १२११ ई | मल्ले गवुण्डि सकलचंद्र मुनि देवजिनेंद्र | मुक्ति को प्राप्त किया था। | जै. शि. सं. भा. ३ | जक्कने जक्कलेद्ध | मण्डनमुछ और लाचचे की पुत्री | तपस्वी अनंतकीर्ति थे थी, विख्यात भरत की पत्लि थी १०६ १२०७ । सोमलदेवी | एचण की पत्नि थी | तपस्वी जक्कव्वे ने | जै. शि. सं. भा. ३ | २३४ | समाधिमरण से स्वर्ग प्राप्त किया था। जै. सि. भा. ६६ बेलवट्टिनाड़ स्थान में एक बसदिका | निर्माण करवाकर उसके लिए भूमि का दान दिया था। | हग्गरे तीर्थ भरत पंडित को दान | जै. सि. भा. ७ दिया था। का १३वीं शती | जक्कियचे की पुत्री का | १२२३ | अच्छाम्बिके । मंत्री चंद्रमौली की पत्नि थी जै. शि. सं. भा. ३ श्रवणबेलगोल में उसने पार्श्वनाथ मंदिर अक्कन बस्तिबनवाया था R | १२६० । सोवलदेवी । मंत्री एच की पत्नि थी। जै. बि. पा १. ४५३/ एक मंदिर का निर्माण किया | पूजन तथा मंदिर के लिए दान दिया था। १३ | १२७७ | कुमारला जै. बि. पा. १. ६३७ शांतिनाथ मंदिर में देवकुलिका का निर्माण जै. बि. पा.१. ५१६ 18 | १३वीं शती | जक्कियब्बे की | पुत्री आदिनाथ बस्ति का निर्माण किया था। ५ २0१ | चंद्रिका महादेवी | कार्तवीर्यदेव की माता थी सट्टो का मंदिर जै. शि. सं. भा.३ | २६७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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