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________________ जैन श्राविकाओं का बृहद इतिहास 267 संवत् श्राविका नाम संबंध | अवदान प्रेरक/प्रतिष्ठापक आचार्य/गच्छ संदर्भ ग्रंथ ११६० | वीग ४७ माथुर संघ के आचार्य चारूकीर्ति के शिष्य सोनम और राहिल की कन्या थी। जैन सरस्वती मूर्ति के पादपीठ | जै. शि. सं. भा. ५ पर अंकित अभिलेख में इनका नाम है। ६३ | १७ सूहवा जै. शि. सं. भा.५ | ४६ सूहवा धहड़ की पत्नि थी. तथा देवधर की माता थी। सूहवा ने नेमिनाथ मंदिर में दो | स्तंभ लगवाये, जिनका मूल्य १० द्रम्य था। | ६४ | १३ | मानलदेवी रूद्रपाल तथा अस्तपाल की माता थी। नडलड़ागिका के आने वाले | जै. शि. सं. भा. ४ 145-६० यतियों के लिए दान अर्पित किया था। सेमा वणिक उसराक की मार्या थी। ४६८ पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा | पं. चं. अभि. ग्रं. का दान दिया था। ११६६ ७३ जै. सि. भा. सन् १६४६ कामलदेवी | नागदेव व चंदब्बे की पुत्री थी नयकीर्ति सिद्धांत चक्रवर्ती नगर जिनालय व पार्श्वदेव बस्ति | मल्लिदेवभाई थे होयसल वंश सम्मुख शिलाकुट्टम व रंगशाला नरेश द्वितीय बल्लादेव का निर्माण कराया था। को मंत्री परिवार था। | शांतिका, जत्नी माथुरसंघ आचार्य श्री | जिन प्रतिमा बनवाई अनंतकीर्ति की शिष्या थी रा. अ. भा. १ ६८ | २०७ | रानी गिरिजादेवी। रा. अ.भा.१ रत्नपुर के शासक पूतपक्षदेव की रानी पशुवधनिषेध अमारि की राजाज्ञा निकलवायी थी। आशादेवी श्रेठी बहुदेव की पत्नि सरस्वती प्रतिमा विद्यादेवी सर्वदेव की पत्नि प्रतिमा तोरण जाल्हणदेवी महाराज केल्हणदेव की रानी थी। रद्ध १२६६ भ० पार्श्वनाथमंदिर हेतु भूमि का दान सन् १२६६ में स्तंभ का उद्वार किया PARE जसदेवी | महुडुआ की पत्नि भिवडेश्वरदेव के मंदिर में मंडप का निर्माण घासकी :उपकेश ज्ञा. | १३ | १२४२ १६ चतुष्किका चौकी का जीर्णोद्वार कराया Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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