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आठवीं से पंद्रहवीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ
सन्
| श्राविका नाम
संबंध
अवदान
संदर्भ ग्रंथ
प्रेरक/प्रतिष्ठापक आचार्य/गच्छ
जै. सि. भा.
पति की निषद्या निर्माण कराई थी।
५५
७६ | ११५७ । चट्टिकब्बे | राज्याधिकारी
मल्लिसेट्टी की जैन धर्म परायण पत्नि
थी। ८० १२वीं सदी| नागवे
समाधिमरण का | जै. शि. सं. भा. ४ | २३३ उल्लेख है।
स १२ वीं सदी
श्रीयादेवी
सामंतगोव की पत्नि
| जिनमूर्ति की स्थापना | जै. शि. सं. भा. ४ | १०
८२
वीसदी १५
मुत्तब्वे
चंद्रप्रभदेव
जै. शि. सं. भा. ४
समाधिमरण का । उल्लेख है।
८३ १२ वीं सदी
बोमवे
शंबुदेव की पत्नि
अनंतनाथ की मूर्ति | जै. शि. सं. भा.४ | २२६
गंगवे
मुनिचंद्रदेव यापनीयसंघ
जै. शि. सं. भा.४ | २२७
८५ १२ वीं सदी|
बाचवे
| सत्यवेग्गडे की पत्नि
समाधिसहित | जै. शि. सं. भा.४ | २२ देहत्याग का
उल्लेख है। नेमिचंद्र पंडितदेव | जै. शि. सं. भा. ४ को दान दिया था।
८६
वसदी ११
देमलदेवी
। वीरचामुण्डरस की
पत्नि थी
।।
19 १२ वीं सदी मल्लियक्का
प्रशंसा की गई है।
जै. शि. सं. भा. ४ | २२६
| ५ | ११५६ | पद्मलदेवी
।
दान दिये जाने का | जै. शि. सं. भा. ४ | १६
उल्लेख है।
८६ १२ वीं सदी
नीलिकब्बे
।
प्रशस्ति में नाम का | जै. शि. सं. भा. ४ | १७२ उल्लेख आता है।
६० | १० | हव्वक्का
जै. शि. सं. भा. ४ | २१
समाधिमरण का | उल्लेख है।
।।
१ १२ वीं सदी
बोचिकब्बे
| कुंदकुंदान्वय के चंद्रकीर्ति भट्टारक के शिष्य चेंचिसेट्टि की पत्नि बोचकब्बे थी।
बोचिकब्बे ने गोम्मट | जै. शि. सं. भा. ५ | ५८ पार्श्वजिन की स्थापना
की थी।
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