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________________ 266 आठवीं से पंद्रहवीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ सन् | श्राविका नाम संबंध अवदान संदर्भ ग्रंथ प्रेरक/प्रतिष्ठापक आचार्य/गच्छ जै. सि. भा. पति की निषद्या निर्माण कराई थी। ५५ ७६ | ११५७ । चट्टिकब्बे | राज्याधिकारी मल्लिसेट्टी की जैन धर्म परायण पत्नि थी। ८० १२वीं सदी| नागवे समाधिमरण का | जै. शि. सं. भा. ४ | २३३ उल्लेख है। स १२ वीं सदी श्रीयादेवी सामंतगोव की पत्नि | जिनमूर्ति की स्थापना | जै. शि. सं. भा. ४ | १० ८२ वीसदी १५ मुत्तब्वे चंद्रप्रभदेव जै. शि. सं. भा. ४ समाधिमरण का । उल्लेख है। ८३ १२ वीं सदी बोमवे शंबुदेव की पत्नि अनंतनाथ की मूर्ति | जै. शि. सं. भा.४ | २२६ गंगवे मुनिचंद्रदेव यापनीयसंघ जै. शि. सं. भा.४ | २२७ ८५ १२ वीं सदी| बाचवे | सत्यवेग्गडे की पत्नि समाधिसहित | जै. शि. सं. भा.४ | २२ देहत्याग का उल्लेख है। नेमिचंद्र पंडितदेव | जै. शि. सं. भा. ४ को दान दिया था। ८६ वसदी ११ देमलदेवी । वीरचामुण्डरस की पत्नि थी ।। 19 १२ वीं सदी मल्लियक्का प्रशंसा की गई है। जै. शि. सं. भा. ४ | २२६ | ५ | ११५६ | पद्मलदेवी । दान दिये जाने का | जै. शि. सं. भा. ४ | १६ उल्लेख है। ८६ १२ वीं सदी नीलिकब्बे । प्रशस्ति में नाम का | जै. शि. सं. भा. ४ | १७२ उल्लेख आता है। ६० | १० | हव्वक्का जै. शि. सं. भा. ४ | २१ समाधिमरण का | उल्लेख है। ।। १ १२ वीं सदी बोचिकब्बे | कुंदकुंदान्वय के चंद्रकीर्ति भट्टारक के शिष्य चेंचिसेट्टि की पत्नि बोचकब्बे थी। बोचिकब्बे ने गोम्मट | जै. शि. सं. भा. ५ | ५८ पार्श्वजिन की स्थापना की थी। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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