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________________ जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास क्र. ७२ ११७१ ७३ ७४ ७५ ७६ ७७ संन् श्राविका नाम ७८ ११६० 990 ११५५ ११९६० ११६० १११५ Jain Education International तोतर् गोय्यद - गवुड़ सांतले सान्तियक्क पोचिकव्वे जकब्बे जकव्वे माचियक्क लक्ष्मीमति दण्डनय किती संबंध लोकगण्डकी पत्नि सांतले के पिता संकय नायक, माता | मुछव्वे, गुरू नयकीर्ति देव मुनि थे, एचिगांक की पत्नि थी। नरसिंहदेव के एक मंत्री ताम्बुलवाहक चाविमथ्य की पत्नि थी । गाडि जक्कय की पत्नि थी । मूलसंघ के आचार्य बालचंद्र की शिष्या थी । नाकिट्टी की पुत्री ईश्वर चमूपति की पत्नि थी चंदिकब्बे माता थी। प्रेरक / प्रतिष्ठापक गच्छ / आचार्य भानुकीर्ति सेद्धांतिक देव अतिमब्बे की तरह प्रसिद्ध थी, भानुकीर्ति सेद्धांतिक देव को भूमि दान में प्रदान की थी। नयकीर्ति सिद्धांतदेव आचार्य बालचंद्र देव गंडविमुक्ति देव प्रभाचंद्र सिद्धांत देव अवदान For Private & Personal Use Only सान्तले की समाधि का स्मारक है। अनेक मंदिर बनवाए हेरगु में चेन्नपार्श्वनाथ मंदिर का निर्माण करवाया दीगुरू में सुपार्श्वनाथ भ. की प्रतिमा स्थापित की थी. देव पूजा मुनि आहार हेतु भूमिका दान किया था। मयबोव्वल तीर्थ में जिनमंदिर तथा “पद्मावती गेरे” नामक तालाब बनवाया देवपूजा तथा मुनियों के आहार एवं मंदिर जीर्णोद्धार हेतु भूमि का दान किया था आहार, स्थान, दवा आदि का भारी योगदान था । संदर्भ ग्रंथ जै. शि. सं. भा. ३ १५२-१५६ द. भा. जै. ध. ए. क. VII शिकरपुर २०० टेबलेट नं. २०० भा. इ. ए. द. प जै. शि. सं. भा. ३ 265 जै. सि. भा. १५ ३५२-३५३ १२६-१३० जै. शि. सं. भा. ३ १२६-१३० ७४ www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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