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________________ 264 आठवीं से पंद्रहवीं शताब्दी की जैन श्राविकाएँ क्र. सन् श्राविका नाम | संबंध अवदान प्रेरक/प्रतिष्ठापक आचार्य/गच्छ संदर्भ ग्रंथ ११३३ । विष्णुवर्द्धन की जै. बि. पा. 1. शांतले शांतलदेवी रानी हल्लिगॉव हालेबीड़ के पास में पार्श्वनाथ की बस्ति बनाई मैलम वरंगल, आंध्र-प्रदेश मंत्री बेता की पत्नि मैलम थी बूचब्बे मालब्बेय के पुत्र | बामि-सेट्टी की पत्नि अन्मकोण्ड पहाड़ी पर | द. भा. ज.ध. | ७ एक जिनमंदिर बनवाया था, मंदिर की व्यवस्था के लिए भूमि का दान भी किया था। बूचब्बे का स्मारक बना| जै. शि. सं. भा. ३ | २६७ | हुआ है। ६८ | १६६४ अन्नलदेवी | केल्हन की माता थी। सांडेराव का शिलालेख जै. इं. आं. ४० महावीर मंदिर के लिए दान दिया था। ६६ | झारोली शिलोलख जै.इं.आं | जैन मंदिर के लिए बगीचे का दान किया |७० | पार | बाचलदेवी गंगवाड़ी के राजा भुजबलगंग की दूसरी पत्नि थी। मूलसंघ देशीगण की गहस्य शिष्या थी। बन्नी केरे में एक सुंदर | १. जै. शि. सं. भा. Real जिनालय का निर्माण | २२. जै. शि. सं. | कराया था। अपने पति भा.३ को पात्र जगदल्ले की उपाधि दी थी। | | 4 | देमति, देमवति. | राजसम्मानित चामुण्ड | गुरू शुभचंद्र सिद्धांतदेव | बहन लक्कले या देमियक्क | नाम के वणिक् की थे। लक्ष्मीमति ने देमति के | जै. सि. भा. सन् भार्या थी नगले की स्मरणार्थ लेख नं ४६ १२६ | १६४६ पुत्री थी भाई लिखवाया था। धार्मिक बूचिराज था। कार्यों में देमति का योगदान उल्लेखनीय है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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