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जैन श्राविकाओं का बृहद इतिहास
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70
अनुपलब्ध
| बलहस्तिनी (लहस्तिनी) धर्ममित्र की वधू
71 | अनुपलब्ध
72 | अनुपलब्ध
| तेजाबाई
73 | अनुपलब्ध
| नागश्री
74 | अनुपलब्ध
| भवनक की पत्नी
75 | अनुपलब्ध
गुल्हा
76 | अनुपलब्ध
कमलदेवी
परिजनों के साथ एक बड़ा जै.शि.सं.भा. 2 | 499 तोरण बनवाया था। एक जिन प्रतिमा का निर्माण पं.चं.अ.ग्रे. 499 कराया था। भ, रत्नकीर्ति भ. कुमुदचन्द्र व राज.के जैन संत | 29 भ. अभयचन्द्र को संघयात्रा
निकालने में सहयोग दिया नाग की पत्नी थी, जीजू पुत्र
चित्तौड में चंद्रप्रभ मंदिर एवं जै.शि.सं.भा.5 64 था।
कोट्टरनगर में भी एक मंदिर बनवाया था। नागनंदि हरि और रूद्धि के जै.शि.सं.भा. 2 अनुरोध से जिन प्रतिमा का
दान किया था। वर्मा की पुत्री तथा जयदास की कोट्टियगण के आर्यागाढ़क की | जै.शि.सं.भा. 2 पत्नी थी।
शिष्या आर्याश्यामा की प्रेरणा से ऋषभदेव की प्रतिमा का
दान किया था। बोम्मल देवी के पुत्र वीर भैररस पुत्री रामादेवी के स्वर्गवास के जै.शि.सं.भा. 2 वोडेयर कारकल की छोटी बहन | पश्चात् भूमि का दान किया। थी।
था। पाषाण का शासन उत्कीर्ण करवाया। दैनिक पूजा हेतु दो दीपक तथा प्रतिदिन दो अंजुली चावल दान हेतु अर्पित
की थी। मोगली के पुत्र पुष्पक की पत्नी एक आयागपट्ट का निर्माण पं.चं.अ.ग्रं. 496 थी।
कराया था। पुत्र सिंह विष्णुपल्लवाधिराज ने | जै.सि.भा. अर्हत देवायतन का निर्माण 1946 दिसं.
किया था। शांति सेन मुनि की पत्नी थी। संलेखना का व्रत ग्रहण किया | जै.सि.भा. 69
था।
1940 दिसं. संलेखना व्रत ग्रहण किया था। जै.सि.भा.
1940 दिसं. तोगरीकुंटे बसदि का निर्माण । | जै.सि.भा. किया था
| 1943 दिसं.
77 | अनुपलब्ध
पूसा (पुष्या)
78 | अनुपलब्ध
| माता श्रेयार्थ
79 | अनुपलब्ध
ईचल गारवि कुट्टर
80 | अनुपलब्ध
नच्छिकब्वे
81 | अनुपलब्ध
चन्द्रप्रभा
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