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महावीरोत्तर-कालीन जैन श्राविकाएँ ई.पू. छठी शती से ई. सन की सातवीं शती
क्र०
संवत्
श्राविका नाम
प्रेरक/प्रतिष्ठापक गच्छ / आचार्य
संदर्भ ग्रंथ
अवदान प्रतिमा निर्माण आदि प्रतिमा
...................
म.ए.प.जै.ध.
449
बप्पनाग
श्री रत्नप्रभ सूरी जी
श्री महावीर स्वामी
भ.पा.प.इ.
157
ई.पू. द्वितीय | कुटुम्बनी शती ई.पू. द्वितीय | मायादे शती ई. सन की छांडदे, नागणदे, 5वीं शती छाहड़ी ई. सन की देवलदे 7वीं शती ई. सन की मांगी, जसादे 7वीं शती
उप, चोरड़िया | उप. देवगुप्तसूरि जी
श्री महावीर स्वामी
भ.पा.प.इ.
157
बप्पनाग
उप. कक्कसूरी जी
श्री शांतिनाथ स्वामी
भ.पा.प.इ.
157
58
आदित्यनाग
| उप. देवगुप्तसूरी जी
श्री महावीर स्वामी
भ.पा.प.इ.
157
क्र० | संवत्
श्राविका नाम
59 | अनुपलब्ध
शिवमित्रा
498
60 | अनुपलब्ध
शिवमित्रा
27
61 | अनुपलब्ध
| दिना(दत्ता)
496
प्रेरक/प्रतिष्ठापक
अवदान
संदर्भ ग्रंथ गच्छ / आचार्य
प्रतिमा निर्माण आदि गोतिपुत्र की पत्नी थी। सुंदर आयागपट्ट की स्थापना | पं.च.अ.ग्र.
की जो भग्न है। मत्स्य युक्त सरोवर में पुष्पित एवं मुकुलित कमलों की सुंदर बेल उसपर
चित्रित है। फल्गुयश नर्तक की पत्नी थी। मध्य में वेदिकायुक्त तोरण जै.शि.सं.भा. 2
चित्रित सुंदर आयागपट्ट दान में दिया। आजु बाजु में आभूषणों
सहित दो सुंदरियाँ प्रदर्शित है। वजनंदिन की पुत्री वृद्धि शिव की | एक प्रतिमा का दान किया पं.च.अ.ग्र. बहू थी। भदंत जयसेन की अंतेवासिनी एक प्रसाद का दान किया था। | पं.च.अ.ग्र. शिष्या थी। बुद्धि की पुत्री तथा देविल की। गोदासगणि के आदेश से दान | जै.शि.सं.भा. 2 पत्नी थी।
दिया था। वयरसिंह की पत्नी थी। पुत्रियाँ रूडी, व गांगी के साथ | जै.शि.सं.भा. 2
मिलकर नेमिनाथ का मंदिर बनवाया था। मुनि सिंह ने
प्रतिष्ठा करवाई थी। वरणहस्ति व देवी की पुत्री गुरुआर्य क्षेरक की प्रेरणा से जै.शि.सं.भा. 2 कुठकुसुत्य की पत्नी जयदेव व सर्वतो भद्रिका प्रतिमा बनवाकर मोहिनी की बहू थी।
भेंट की थी। मोगली पुत्र की पत्नी पुष्पक थी। | दान का वर्णन है।
जै.शि.सं.भा. 2
था।
62 | अनुपलब्ध
धर्मघोषा
496
| अनुपलब्ध
गृहश्री
| 32
64 | अनुपलब्ध
फाऊ
| 164
65 | अनुपलब्ध
स्थिरा
| 21
66 | अनुपलब्ध
असा
53
67 | अनुपलब्ध
| 48
| मारसिंह की लघु बहन
68 | अनुपलब्ध
अचला
48
वह माघनंदी की शिष्या थी। जैन मंदिरों का निर्माण व जैन | जै.शि.सं.भा. 2
मुनियों के आवास का प्रबंध
किया था। भद्रयश की बहू व भद्रनंदि की। अर्हतो के पूजार्थ एक
जै.शि.सं.भा. 2 पत्नी थी, तथा गृहदत्त की पुत्री आयागपट्ट स्थापित किया था। थी। वह गृहदत्त की पुत्री थी। धर्मार्थ नामक श्रमण के उपदेष | पं.चं.अ.ग्रं.
| से षिलापट्ट का दान दिया था।
69 | अनुपलब्ध
|धनहस्ति की पत्नी
48
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