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________________ जैन श्राविकाओं का बृहद् इतिहास क्र० 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 क्र० 47 48 49 50 51 52 53 संवत् सन् 159 सन् 160 सन् 161 सन् 162 सन् 162 सन् 164 सन् 187.188 ई. सन् प्रथम द्वितीय शती ई. सन् 130 ई. सन् 356 ई. सन् की चतुर्थ शती संवत् ई.पू. द्वितीय शती ई.पू. द्वितीय शती ई.पू. द्वितीय शती ई.पू. द्वितीय शती ई.पू. द्वितीय शती ई.पू. द्वितीय शती ई.पू. द्वितीय शती Jain Education International श्राविका नाम गृहश्री जयदेवी जिनदासी भट्टदत्त की वधू ओखरिका प्रिय की पत्नी विकटा त्रैवण राजकन्या सामणेरी यशोदत्ता की स्मृति में ओखा ओखरिका, उज्झतिका, शिरिक, शिवदिन्ना कम्पिला चेली श्राविका नाम कुमारमित्रा सचिल की धर्मपत्नी मित्रा क्षुद्रा शिवयशा गूढा शिवमित्रा प्रेरक / प्रतिष्ठापक गच्छ / आचार्य दत्ता की प्रेरणा से सेन की पुत्री, दत्त की वधू गंधिक की पत्नी थी। दमित्र एवं दत्ता की पुत्री थी। दास की पुत्री थी। कोटिकगण के नागनंदिन नामक धर्मगुरु की शिष्या थी । अधिक्षेत्र के शोतकायन की पत्नी थी । पुत्र राजा आषाढ़सेन थे। सिंहल पुत्र मदन की पत्नी थी। ------------------- वह गंगवंश की वीरांगना थी। वंश / गोत्र अवदान प्रतिमा निर्माण आदि वृद्ध (पुराने) के लिए प्रयुक्त हुआ है। जिन प्रतिमा का दान किया था। दर्द्धमान प्रतिमा का दान किया था। तीर्थंकर प्रतिमा का दान किया था । कुमारदत्त की प्रेरणा से ऋषभदेव की प्रतिमा स्थापित की थी। कोट्टियगण के सत्यसेन व धर वृद्धि की प्रेरणा से वर्धमान प्रतिमा का दान दिया था । | आर्या वसुला के उपदेश से जिन प्रतिमा अर्पित की थी। धर्म श्रद्धालु जैन श्राविका थी । पुत्र सहित पद्मप्रभु की तथा विशाल शिला पर चार प्रतिमायें, ऊपर दो गुफा निर्मित करवाई। उसने यष्टि खड़ी करवाई थी। जिन मंदिर बनवाया एवं महावीर स्वामी की प्रतिमा स्थापित करवाई थी । जिन शासन की उन्नति के लिए जिन मंदिरों का निर्माण किया था । प्रेरक / प्रतिष्ठापक गच्छ / आचार्य For Private & Personal Use Only अवदान प्रतिमा निर्माण आदि सर्वतोभद्रका शांतिनाथ जिन प्रतिमा भ० वर्धमान स्वामी । संदर्भ ग्रंथ आयागपट्ट पं.चं. अ. ग्रं. पं.चं.अ.ग्रं. पं.चं.अ.ग्रं. पं.चं. अ. ग्रं. पं.चं.अ. ग्रं. पं.चं.अ. ग्रं. स्था. जैन इति. जै.शि.सं. भा. 2 प्रा.भा.अ.सं. खंड 1 जै.शि.सं.भा. 2 पं.चं. अ. ग्रं. संदर्भ ग्रंथ म.ए.प. जै.ध. म.ए.प. जै.ध. म.ए.प. जै.ध. म.ए.प. जै.ध. म.ए.प. जै.ध. ऋषभदेव म.ए.प. जै.ध. शकों का विध्वंस करने म.ए.प.जै.ध. वाली 211 पृ. 496 495 496 500 493 495 499 50 13 14 318 319 54 551 पृ. 449 449 449 449 448 449 450 www.jainelibrary.org
SR No.003610
Book TitleJain Shravikao ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPratibhashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages748
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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